मिलिट्री बेस बनाने की कोशिश कर रहा चीन , हर ओर से मार रहा हाथ-पांव

चीन दुनिया भर में सैन्य ठिकानों का निर्माण कर रहा है या बनाने की कोशिश में जुटा हुआ है। हालांकि अब तक सिर्फ एक सैन्य ठिकाने की आधिकारिक पुष्टि हो सकी है। लेकिन रिपोर्ट्स बताती हैं कि चीन अधिक से अधिक सैन्य ठिकाने बनाने की हरसंभव कोशिश में जुटा हुआ है।

हालिया मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो चीन ने मिलिट्री बेस के लिए इक्वेटोरियल गिनी और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) पर फोकस किया हुआ है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन इक्वेटोरियल गिनी में अपना पहला अटलांटिक सैन्य अड्डा बनाने की कोशिश कर रहा है। हाल ही अमेरिका द्वारा UAE को चेतावनी दिए जाने के बाद अबू धाबी से 80 किलोमीटर उत्तर में खलीफा के कार्गो बंदरगाह पर निर्माण रोक दिया गया था। ऐसी रिपोर्ट्स थी कि चीन वहां सैन्य सुविधा विकसित करने में जुटा हुआ था।

कंबोडिया में भी मिलिट्री बेस बनाने के लिए चीन लगातार हाथ-पांव मार रहा है। अक्टूबर 2020 में कंबोडिया ने रीम नेवल बेस में अमेरिका द्वारा फंड किए गए दो इमारतों को ध्वस्त कर दिया। बाद में कंबोडियाई रक्षा मंत्री टी बान ने बताया कि चीन बेस इन्फ्रास्ट्रक्चर के विस्तार में मदद कर रहा है। वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट बताती है कि चीनी सेना को नौसैनिक सुविधा का उपयोग करने देने के लिए एक गुप्त 30 साल का समझौता किया गया है। हालांकि, कंबोडियाई सरकार ने इस बात का खंडन किया है।

2018 में चीन प्रशांत क्षेत्र में मिलिट्री बेस को लेकर चर्चा में था। चीन वानुअतु में ऐसा करने की कोशिश में जुटा हुआ था। हाल ही में सोलोमन द्वीप में भी चीनी की भागीदारी चर्चे में है। 2019 में सोलोमन अधिकारियों ने एक विशेष आर्थिक क्षेत्र के लिए एक चीनी डेवलपर को तुलागी द्वीप को पट्टे पर देने का प्रस्ताव रखा था। 22 सितंबर 2019 को सेंट्रल प्रोविंस समझौता पर साइन हुआ लेकिन यह कभी पूरा नहीं हो सका। हालांकि रिपोर्ट्स बताती हैं कि सोलोमन ने चीन को पांच साल के लिए लीज पर तुलागी और आसपास के द्वीप दिए हैं।

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