जल निगम वाले कर्मचारी पर फूटा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का गुस्सा , जाने पूरा मामला
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गृह गांव सीहोर जिले में जैत है जहां नर्मदा का पानी तो पहुंच गया है लेकिन पानी भरने के लिए टोंटियां नहीं लगी हैं। चौहान दीपावली के बाद जब गांव पहुंचे तो ढेरों लोग इस समस्या के आवेदन लेकर उऩके मंच तक पहुंच गए।
फिर क्या था जल निगम वाले कर्मचारी पर सीएम का गुस्सा फूटा और कमिश्नर-कलेक्टर की इसके लिए ड्यूटी लगा दी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शनिवार को अपने गृह गांव जैत पहुंचे थे जहां उनके स्वागत सत्कार के लिए मंच बनाया गया था।
यह मंच शिकवा-शिकायतों का बन गया जिसमें जैत व आसपास के गांव के लोग अपनी-अपनी समस्याएं लेकर खड़े हो गए। ज्यादातर शिकायतें पानी की थीं जिसमें नर्मदा का पानी पहुंचने के बाद भी उसका लाभ नहीं ले पाने की परेशानी कॉमन रही। ऐसे आवेदन के बाद सीएम का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया।
मेरे क्षेत्र में ही पानी नहीं जा रहा। जैत में ही पानी सब जगह नहीं पहुंचा है। वे एक-एक आवेदन कब तक देखेंगे। ये कौन का काम है, क्या मेरा काम है। (जल निगम के कर्मचारी की तरफ इशारा करते हुए) एकसाथ आवेदन दे रहा हूं, इनके बारे में 15 दिन के बाद पूछूंगा, अगर एक जगह की भी शिकायत आ गई तो तुम नहीं रहोगे।
ये काम करने का कोई तरीका नहीं है। (भोपाल संभाग के कमिश्नर गुलशन बामरा की तरफ इशारा करते हुए) 15 दिन के बाद कमिश्नर और कलेक्टर खुद देखेंगे। इसके बाद जहां ग़ड़ब़ड़ मिल गई तो वहां मैं ठीक कर दूंगा। क्या मुख्यमंत्री का काम है कि टोंटी में पानी आ रहा है या नहीं, देखे। एक-एक टोंटी को क्या मैं देखूंगा। पूरा चैक करके सर्वे करो। सरकार ने नर्मदा पानी ले जाने मेंइतना पैसा इनवेस्ट किया है। फिर भी कहीं पानी है तो नहीं है। अब पूरा चैक करके 15 दिन बाद रिपोर्ट चाहिए। इसके बाद किसी की शिकायत आ गई तो फिर खैर नहीं है।