‘क्षेत्र को बाढ़ प्रभावित घोषित किया तो ही मिलेगी केंद्रीय सहायता’, केंद्र कर रहा कानून पर विचार

नई दिल्ली:  केंद्र सरकार अब जल्द ही बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों को केंद्रीय सहायता मुहैया कराने के लिए कानून लाने पर विचार कर रहा है। दरअसल, केंद्र ने बाढ़ का सामना कर रहे राज्यों को निर्देश दिया है कि उनके जिन भी इलाकों में बाढ़ आई है, वह उन्हें बाढ़ग्रस्त इलाका घोषित करें। हालांकि, इस सिलसिले में कई बार राज्यों को निर्देश भेजे जाने के बावजूद अब तक सिर्फ चार राज्यों ने ही इसका पालन किया है। ऐसे में अब केंद्र सरकार इसे लेकर कानून लाने की तैयारी में है।

अधिकारियों के मुताबिक, इस कानून के आने के बाद बाढ़ का सामना कर रहे राज्यों को केंद्र की सहायता हासिल करने के लिए अपने प्रभावित क्षेत्रों को बाढ़ग्रस्त घोषित करना होगा। इसके बाद ही उन्हें किसी तरह की मदद भेजी जाएगी। मौजूदा समय में जिन चार राज्यों ने केंद्र के नियम को मानकर अपने क्षेत्रों को बाढ़ प्रभावित घोषित किया है, उनमें मणिपुर, राजस्थान, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर शामिल हैं।

एक अधिकारी ने दावा किया कि जलशक्ति मंत्रालय लगातार राज्य सरकारों से इसे लेकर संपर्क में है। राज्यों को इसके मद्देनजर कई बार अपने प्रभावित क्षेत्रों को बाढ़ग्रस्त घोषित करने और उन क्षेत्रों का सीमांकन करने के लिए भी कहा गया है। अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय जल आयोग ने अपने मॉडल कानून को अपडेट किया है और मंत्रालय इस बारे में जल्द ही राज्यों के साथ विचार-विमर्श शुरू कर सकता है।

क्या है फ्लडप्लेन जोनिंग?
गौरतलब है कि बाढ़ क्षेत्रों में जमीन के इस्तेमाल को विनियमित करना ‘फ्लड-प्लेन जोनिंग’ का मूल है। ताकि बाढ़ से होने वाले नुकसान को सीमित किया जा सके। अधिकारी ने बताया कि मंत्रालय ने बाढ़ प्रबंधन एवं सीमा क्षेत्र कार्यक्रम (एफएमबीएपी) के तहत निधि का इस्तेमाल करने को राज्यों के लिए ‘फ्लड प्लेन जोनिंग एक्ट’ को लागू करने को एक पूर्व अनिवार्य शर्त बनाने का प्रस्ताव दिया है।

अधिकारी ने कहा, ‘‘हम बाढ़ प्रबंधन और सीमा क्षेत्र कार्यक्रम के अगले चरण के लिए मंत्रिमंडल की स्वीकृति प्राप्त करेंगे। इससे अब किसी भी राज्य के लिए एफएमबीएपी के तहत संसाधनों तक पहुंच हासिल करने की शर्त यह होगी कि उसने ‘फ्लड प्लेन जोनिंग एक्ट’ लागू किया हो। अगर आपने यह कानून लागू नहीं किया होगा, तो आपको पैसा नहीं मिलेगा।’’

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