पश्चिम बंगाल के बीरभूम में हुई हिंसा की जांच करेगी सीबीआई, हाई कोर्ट ने दिया आदेश
पश्चिम बंगाल के बीरभूम में हुई हिंसा की सीबीआई जांच होगी। कलकत्ता हाई कोर्ट ने शुक्रवार को यह आदेश दिया। अदालत ने कहा कि सबूतों और घटना के प्रभाव से संकेत मिलता है कि राज्य पुलिस मामले की जांच नहीं कर सकती है। साथ ही अदालत ने 7 अप्रैल तक इस मामले में रिपोर्ट दाखिल करने के लिए भी कहा है। फिलहाल इस केस की जांच SIT कर रही है।
बंगाल के बीरभूम में 22 मार्च को घरों में आग लगने से आठ लोगों की मौत हो गई थी। यह घटना एक टीएमसी नेता की मौत के बाद हुई थी। मरने वालों में तीन महिलाएं और दो बच्चे भी शामिल हैं। मृतकों में नवविवाहित जोड़ा लिली खातून और काजी साजिदुर भी हैं। ऑटोप्सी रिपोर्ट में कहा गया है कि पीड़ितों को जिंदा जलाने से पहले पीटा गया था।
इस घटना ने स्थानीय लोगों को रामपुरहाट के बोगटुई गांव से भागने के लिए मजबूर कर दिया, जहां यह हिंसा हुई थी। बंगाल सरकार ने मामले की जांच के लिए SIT का गठन किया। अब तक इस केस में 20 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पीड़ितों के परिवारों के लिए 5 लाख रुपये मुआवजे की घोषणा की है।
इससे पहले गुरुवार को बीरभूम हिंसा के सिलसिले में तृणमूल कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष अनिरुल हुसैन को गिरफ्तार किया गया। हुसैन की गिरफ्तारी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के उस बयान के कुछ घंटों बाद हुई है जिसमें उन्होंने आरोपी से आत्मसमर्पण करने की बात कही थी, ऐसा नहीं करने पर गिरफ्तारी का सामना करने के लिए कहा था। हुसैन को पुलिस ने तारापीठ के एक होटल से गिरफ्तार किया गया है।
गुरुवार को राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बोगटुई गांव का दौरा किया था। बनर्जी ने पीड़ितों के परिवार के सदस्यों के साथ बात की और उन्हें मुआवजे के रूप में स्थायी सरकारी नौकरी और धनराशि की भी पेशकश की। बनर्जी के निर्देश के बाद बोगटुई गांव में सुरक्षा बढ़ा दी गई। जिला पुलिस के सीनियर अधिकारी ने बताया कि बोगतुई गांव में 50 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं और ग्रामीणों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जा रहे हैं। हमलों और जवाबी हमलों के बाद पांच परिवारों के लगभग 69 लोग पड़ोसी गांवों में चले गए हैं।