मुंबई हमले से पहले रक्षा कॉलेज पर हमला चाहते थे दोनों पाकिस्तानी मेजर, 25,000 डॉलर में सौदा

प्रत्यर्पण के बाद तहव्वुर राणा को अदालत में पेश किया गया, जहां उसे 18 दिन के एनआईए के रिमांड में भेज दिया गया। एनआईए ने मुंबई हमलों के आरोपी राणा से पूछताछ शुरु कर दी है। संभव है कि उसे मुंबई में भी कुछ जगहों पर ले जाया जाए। विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, राणा से पूछताछ के लिए सवालों की लंबी सूची तैयार है। 26/11 के मुंबई हमले में पड़ोसी मुल्क ‘पाकिस्तान’ की भूमिका का सबूतों सहित खुलासा हो सकता है। राणा बताएगा कि मुंबई हमले में पाकिस्तानी सेना के दो मेजर ‘अब्दुल रहमान पाशा’ और ‘इकबाल’ की भूमिका क्या रही थी। मुंबई अटैक से पहले ये दोनों मेजर, दिल्ली के राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज पर हमले की मंशा पाले थे। उनके खतरनाक इरादों में एक ही छत के नीचे ज्यादा से ज्यादा ‘ब्रिगेडियर और जनरलों’ को मारना था। मेजर इकबाल ने मुंबई हमलों के प्रमुख साजिशकर्ता डेविड हेडली को 25,000 यूएस डॉलर दिए थे। मकसद, मुंबई के ताज होटल सहित भारत के दूसरे हिस्सों की जासूसी कराना था। इनमें रिसर्च इंस्टिट्यूट भी शामिल थे। ये बातें हेडली का करीबी ‘तहव्वुर राणा’ जानता था।
सूत्रों के मुताबिक, डेविड हेडली ने सितंबर 2006 में मुंबई का दौरा किया था। पाकिस्तानी मेजर इकबाल ने उसे कुछ जगहों की निगरानी करने के लिए एक मैप भी दिया था। हेडली ने इकबाल को दक्षिण मुंबई में स्थित होटल ‘ताज’ की लोकेशन और उसका वीडियो सौंपा था। ये दस्तावेज, हेडली ने पाकिस्तान जाकर मेजर इकबाल को दिए थे। जासूसी वाली जगहों की सूची में नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज को भी शामिल किया गया। इकबाल ने हेडली से कहा था कि यदि सेना कॉलेज पर हमला सफल रहा तो वे अधिक ब्रिगेडियर और जनरलों को मार सकते हैं।
इस तरह की प्लानिंग हेडली कर रहा था, लेकिन बहुत सी बातें राणा जानता था। वह हेडली का सहयोगी नहीं, बल्कि मित्र भी था। हेडली ने खुद मुंबई की अदालत में ये बातें बताई थी। डेविड हेडली ने दावा किया था कि पाकिस्तानी मेजर इकबाल के इरादे बहुत खतरनाक थे। उसकी नजर भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र और मध्य मुंबई में स्थित राजनीतिक पार्टी शिवसेना के कार्यालय ‘सेना भवन’ पर थी। मेजर पाशा ने उसे इस काम के लिए 80,000 रुपये भी दिए थे। हेडली ने राणा की एजेंसी को अपने मकसद के लिए इस्तेमाल किया। मुंबई हमले की प्लानिंग के लिए डेविड हेडली और पाशा, नियमित संपर्क में थे। हेडली ने अपनी गवाही में ये बात कही थी।
मुंबई के 26/11 आतंकी हमलों में पाकिस्तान के दो मेजर ही नहीं, बल्कि वहाँ के दूसरे बड़े लोग भी शामिल रहे थे। आतंकी संगठन ‘लश्कर-ए-तैयबा’ और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ‘आईएसआई’ की प्लानिंग से संबंधित ईमेल व अन्य पत्राचार, ऐसे सबूत मुंबई की अदालत के समक्ष पेश किए गए थे। अब तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण से भारत को पाकिस्तान के सुरक्षा तंत्र सहित वहां के बड़े लोगों की संलिप्तता के बारे में अधिक जानकारी मिल सकती है।