2024 की जमीन तैयार कर रही भाजपा , दलित और आदिवासी समुदाय को लेकर बनाई जा रही ये रणनीति

राजनीतिक समीकरणों के साथ सामाजिक समीकरणों को भी साध कर 2024 की जमीन तैयार कर रही भाजपा दलित और आदिवासी समुदाय को अपने साथ लाने की रणनीति पर खास काम कर रही है। इसके लिए पार्टी विभिन्न राज्यों में अलग-अलग तरीके से इन समुदायों के बीच अपनी पहुंच बना रही है।

भाजपा राष्ट्रीय स्तर पर पूरा अभियान खड़ा करने की कोशिश में है। 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही भाजपा लगातार सामाजिक समीकरणों को साध कर चुनावी सफलता हासिल कर रही है। यही वजह है कि उसने देश के तमाम राज्यों में अपनी मजबूत जमीन भी बनाई है।

इस बीच विभिन्न जातीय समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले दलों के प्रभाव क्षेत्र में भी काफी सेंध लगाई है। हाल में जनजातीय गौरव दिवस मनाने का फैसला लेने के बाद भाजपा अब देशभर के आदिवासी समुदायों में पहुंच बनाने में जुट गई है। दरअसल झारखंड और पूर्वोत्तर के कुछ छोटे दलों को छोड़कर राष्ट्रीय स्तर पर आदिवासियों का प्रतिनिधित्व करने वाला कोई बड़ा दल नहीं है।

गौरतलब है कि आदिवासी समुदाय का समर्थन पूर्व में कांग्रेस को और उसके बाद भाजपा को मिलता रहा है। विभिन्न सामाजिक समीकरणों में ओबीसी की राजनीति करने वाले दल तो बहुत संख्या में है। दलित राजनीति में भी देशभर में कई दल सक्रिय हैं। भाजपा की भावी रणनीति 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर है।

इसमें वह ओबीसी और दलित समुदायों के साथ आदिवासी समुदाय को भी लक्ष्य कर रणनीतिक ताना-बाना बुन रही है। पार्टी के दलित व आदिवासी मोर्चों को भी सक्रिय किया जा रहा है, जो इन समुदायों के लिए केंद्र सरकार द्वारा लिए जा रहे फैसलों को लेकर लोगों के बीच जाएंगे और उन्हें अपने साथ जोड़ने का काम करेंगे। इसके लिए विभिन्न राज्यों में विशेष अभियान भी आयोजित किए जा रहे हैं। आने वाले महीनों में पार्टी दलित और आदिवासी समुदायों के लिए विशेष सम्मेलन करने की तैयारी भी चल रही है।

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