असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का बड़ा बयान , कहा राज्य में मुस्लिम समुदाय…
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने सोमवार को कहा कि राज्य में मुस्लिम समुदाय बहुसंख्यक है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर राज्य में अब इसे अल्पसंख्यक नहीं माना जा सकता है। कई जिलों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा, “जब हिंदू राज्य में बहुसंख्यक नहीं हैं तो आप उन्हें अल्पसंख्यक घोषित कर सकते हैं। लेकिन मैं यह अपील करना चाहूंगा कि जब जिले में हिंदू समुदाय बहुसंख्यक नहीं है, तो उस जिले में हिंदुओं को भी अल्पसंख्यक घोषित किया जाए। असम में ऐसे कई जिले हैं जहां हिंदू अल्पसंख्यक अल्पसंख्यक हैं। उनमें से कुछ में 5,000 से भी कम हिंदू हैं।
सरमा ने कहा, “मुसलमान समुदाय बहुसंख्यक है और असम में सबसे बड़ी कम्युनिटी है। यह सिर्फ मेरी राय नहीं है। यह आंकड़े हैं। सांख्यिकीय रूप से मुस्लिम असम में सबसे बड़ा समुदाय है।” असम विधानसभा के बजट सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण पर बहस के दौरान बोलते हुए सरमा ने कहा था, “आज मुस्लिम समुदाय के लोग विपक्ष में नेता हैं, विधायक हैं और उनके पास समान अवसर और शक्ति है। इसलिए, यह सुनिश्चित करना उनका कर्तव्य है कि आदिवासी लोगों के अधिकारों की रक्षा की जाए और उनकी भूमि पर कब्जा नहीं किया जाए।”
मुख्यमंत्री ने आगे कहा था कि “सत्ता जिम्मेदारी के साथ आती है” और चूंकि मुस्लिम असम की आबादी का 35 प्रतिशत हैं, इसलिए यहां अल्पसंख्यकों की रक्षा करना उनका कर्तव्य है। उन्होंने कहा था, “असम के लोग डर में हैं। मुसलमानों को शंकरी संस्कृति, सत्त्रिया संस्कृति के संरक्षण के बारे में बात करने दो… तभी सद्भाव होगा। दस साल पहले हम अल्पसंख्यक नहीं थे लेकिन अब हम हैं।”
इससे पहले असम के मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की समीक्षा करने की अपली की थी। उन्होंने कहा कि इस संबंध में एक नई कवायद की जानी चाहिए। सीएम सरमा ने कहा, “हमने पहले भी कहा था कि पुराने एनआरसी की समीक्षा की जानी चाहिए और नए सिरे से किया जाना चाहिए। ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) के साथ हमारी चर्चा चल रही है। हम चाहते हैं कि राज्य में फिर से एनआरसी हो।” मालूम हो कि NRC की अपडेटेड लिस्ट अगस्त 2019 में प्रकाशित हुई थी और 3.3 करोड़ आवेदकों में से 19.06 लाख से अधिक लोगों को इससे बाहर कर दिया गया था।