सुप्रीम कोर्ट से फैसले की समीक्षा करने की अपील, धन जब्त करने वाली याचिका खारिज करने का मामला
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को दायर हुई एक समीक्षा याचिका में उसके ही दो अगस्त 2024 के उस आदेश पर विचार की मांग की गई है, जिसके तहत उसने 2018 की इलेक्टोरल बॉन्ड योजना के तहत राजनीतिक दलों की तरफ से जुटाए 16,518 करोड़ रुपये की जब्ती की मांग को नकार दिया था। समीक्षा याचिका में दो अगस्त 2024 के आदेश को वापस लेने की मांग की गई। इस याचिका ने योजना के तहत प्राप्त धन को जब्त करने की मांग वाली पिछली याचिका को खारिज कर दिया था। इसलिए याचिका को बहाल करने और नए सिरे से सुनवाई की मांग की गई।
शीर्ष अदालत ने पिछले साल दो अगस्त को खेम सिंह भाटी द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया था। उन्होंने समीक्षा दायर की थी और चुनावी बॉन्ड योजना (ईबीएस) में जांच की भी मांग की। वकील जयेश के. उन्नीकृष्णन के माध्यम से दायर और वरिष्ठ वकील विजय हंसानिया द्वारा निपटान की गई समीक्षा याचिका में कहा गया कि 15 2024 को शीर्ष अदालत ने एक अन्य मामले को संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन करने के लिए असंवैधानिक करार दिया था।
याचिका में कहा गया है कि एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) मामले में फैसले ने ईबीएस को शुरुआत से ही अमान्य मान लिया है। इसी वजह से राजनीतिक दलों द्वारा एकत्र की गई राशि को जब्त करने की मांग वाली बाद की याचिकाओं को खारिज नहीं किया जा सकता था। याचिका में आगे कहा गया कि ईबीएस के तहत राजनीतिक दलों द्वारा प्राप्त राशि को जब्त करने की मांग वाली याचिकाओं को तीन न्यायाधीशों की पीठ द्वारा खारिज करना अप्रत्यक्ष रूप से एडीआर फैसले को संशोधित करता है।
याचिका में बताया गया कि अदालत के निर्देशों के तहत दिए गए सबूत ईबीएस के माध्यम से किए गए दान और कॉर्पोरेट दानदाताओं द्वारा प्राप्त लाभों के बीच पारस्परिक संबंध को रेखांकित करते हैं। यह पीठ के निष्कर्ष का खंडन करता है कि ऐसे दावे काल्पनिक थे।