अन्नू ने गन्ना फेंककर की थी शुरुआत, प्रीति पांच साल की उम्र में पहनती थी कैलिपर्स
मेरठ: जिले की ओलंपियन खिलाड़ी जैवलिन थ्रोअर अन्नू रानी और पैरा ओलंपियन खिलाड़ी प्रीति पाल को अर्जुन अवार्ड के लिए चुना गया है। इन खिलाड़ियों को राष्ट्रपति भवन में 17 जनवरी को यह पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाएगा। दोनों ही बेटियों के घरों में उत्सव का माहौल है। बहादरपुर और गंगानगर में मिठाइयां बांटी गईं।
ओलंपियन खिलाड़ी प्रीति पाल ने कहा कि वह इस पुरस्कार के लिए पहले से ही तैयार थीं। ओलंपियन खिलाड़ी जैवलिन थ्रोअर अन्नू रानी के भाई उपेंद्र ने बताया कि अन्नू पटियाला में प्रैक्टिस कर रही है। पूरे परिवार में खुशियों का माहौल है। गांव में मिठाई भी बांटी गई।
अन्नू रानी (भाला फेंक) : बहादुरपुर निवासी अन्नू रानी ने गन्ने का भाला बनाकर खेलना शुरू किया। शुरुआत में उनके भाई उपेंद्र ने उनकी ताकत को पहचाना और इस खेल में जाने के लिए प्रेरित किया। गांव के माहौल के कारण उनका खेल में जाना कुछ लोगों को खटकता भी था। उनके पिता अमरपाल सिंह ने उन्हें खेलने की इजाजत नहीं थी। चोरी छिपे प्रयास किया और बाद में अपने पिता को भी मनाया। उन्होंने भी एशियन गेम्स में भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीता और इसी साल हुए ओलंपिक में भी देश का प्रतिनिधित्व किया।
अन्नू की उपलब्धियां..
व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ पदर्शन- 2022 में जमशेदपुर में होने वाली इंडियन ओपन जेवलिन थ्रो में 63.82 मीटर दूरी तय की
2023- एशियन गेम्स में 62.92 मीटर दूरी तय कर स्वर्ण पदक जीता
2021 – टोक्यो ओलंपिक में प्रतिभाग।
2022- बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक
2019 – वर्ल्ड चैंपियनशिप में फाइनल में जगह बनाने वाली पहली भारतीय महिला का रिकॉर्ड।
2019 – एशियन चैंपियनशिप में रजत पदक।
2017 – एशियन चैंपियनशिप में कांस्य पदक।
2016 – साउथ एशियन गेम्स में रजत पदक।
2014 – एशियन गेम्स में कांस्य पदक।
प्रीति पाल ( पैरा एथलीट): मेरठ के गंगानगर में रह रहीं पैरा एथलीट प्रीतिपाल मूलरूप से मुजफ्फरनगर के हाशिमपुर की रहने वाली हैं। उन्होंने अभी हाल ही में पैरा ओलंपिक खेलों में 100 मीटर और 200 मीटर दौड़ दोनों इवेंट में कांस्य पदक जीता और मेरठ समेत पूरे देश का नाम रोशन किया। प्रीति का जन्म साल 2000 में हुआ था। पैदा होने के छह दिन बाद ही कमजोर पैर के कारण उस पर प्लास्टर लगाया गया था। महज 5 साल की उम्र में वह कैलिपर्स पहनती थीं। अगले 8 साल तक उनका जीवन ऐसा ही रहा। उनके पिता अनिल कुमार डेयरी चलाते हैं। पैरालंपिक खेलों में T35 श्रेणी उन एथलीटों के लिए है, जिन्हें हाइपरटोनिया, अटैक्सिया, एथेटोसिस और सेरेब्रल पाल्सी जैसे समन्वय संबंधी विकार हैं। 17 साल की उम्र में उन्हें सोशल मीडिया के जरिए पैरालंपिक खेलों के बारे में पता चला। वह यह सपना पूरा करने पहले मेरठ और उसके बाद फिर दिल्ली गईं। यहां पैरा एथलीट फातिमा खातून की मदद से प्रीति ने 100 और 200 मीटर के इवेंट में हिस्सा लेना शुरू किया।