शहीदों के सम्मान में जलने वाली ‘अमर जवान ज्योति’ आज नए जगह होगी शिफ्ट, रखा जाएगा यहाँ…
दिल्ली के इंडिया गेट पर हमेशा शहीदों के सम्मान में जलने वाली ‘अमर जवान ज्योति’ को आज नए बने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में रखा जाएगा। 50 साल बाद ऐसा हो रहा है, जब अमर जवान ज्योति इंडिया गेट से अलग की जाएगी।
गुरुवार को रक्षा मंत्रालय की ओर से ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी गई थी कि अमर जवान ज्योति को वॉर मेमोरियल में शिफ्ट किया जाएगा। हालांकि केंद्र सरकार के इस फैसले को लेकर लोगों की मिली-जुली राय है। एक पूर्व सैन्य अफसर ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि यह अपमान करने जैसा है। अमर जवान ज्योति की देश के नागरिकों के दिलों में एक ही जगह रही है। वहीं पूर्व नेवी चीफ एडमिरल अरुण प्रकाश ने कहा कि इस कदम में कुछ भी गलत नहीं है।
एडमिरल अरुण प्रकाश ने इस फैसले को सही करार देते हुए कहा, ‘पहले विश्व युद्ध और उससे पहले शहीद हुए ब्रिटिश भारतीय सेना के 84,000 सैनिकों के सम्मान में अंग्रेजों ने इंडिया गेट बनवाया था।
इसके बाद यहां अमर जवान ज्योति 1971 के युद्ध में शहीद सैनिकों के स्मरण में रखवाई गई थी। यह एक अस्थायी व्यवस्था थी, लेकिन अब हमारे पास अलग से राष्ट्रीय युद्ध स्मारक है। ऐसे में यह ठीक होगा कि अमर जवान ज्योति को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में रखा जाए।’ सरकार के इस फैसले ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस फैसले को शहीदों का अपमान करार दिया है।
राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि कुछ लोग देशप्रम और बलिदान को नहीं समझ सकते। राहुल गांधी ने कहा, ‘बहुत दुख की बात है कि हमारे वीर जवानों के लिए जो अमर ज्योति जलती थी, उसे आज बुझा दिया जाएगा। कुछ लोग देशप्रेम व बलिदान नहीं समझ सकते- कोई बात नहीं… हम अपने सैनिकों के लिए अमर जवान ज्योति एक बार फिर जलाएंगे। केंद्र सरकार के इस फैसले को लेकर सोशल मीडिया पर भी लोग अलग-अलग राय दे रहे हैं।
कुछ लोगों का कहना है कि सरकार का यह कदम सही है और अंग्रेजों के बनाए इंडिया गेट की बजाय उसे राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में ही रखा जाना चाहिए। वहीं एक वर्ग ऐसा भी है, जो मानता है कि इंडिया गेट में रखी अमर जवान ज्योति लोगों के दिलों में बसती है और उससे यादें जुड़ी हैं। ऐसे में युद्ध स्मारक पर एक ज्योति अलग से भी रखवाई जा सकती थी।
1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भारतीय सेनाओं ने अदम्य साहस और पराक्रम दिखाया था। इस युद्ध के चलते बांग्लादेश राष्ट्र का निर्माण हुआ। यही नहीं पाकिस्तान के 90 हजार से ज्यादा सैनिकों ने भारत के आगे सरेंडर कर दिया था।
इस जंग में भारत के 3,843 सैनिक शहीद हुए थे। उनकी याद में ही पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अमर जवान ज्योति को इंडिया गेट पर रखवाया था। इसे शहीदों की मशाल के तौर पर भी जाना जाता रहा है। हालांकि अब नेशनल वॉर मेमोरियल के निर्माण के बाद से स्वतंत्रता दिवस, 26 जनवरी समेत अहम मौकों पर राष्ट्र प्रमुख वहीं सैनिकों को श्रद्धांजलि देने जाते हैं।