भाजपा के गले की हड्डी बन गए हैं अजित पवार, शरद पवार गुट का दावा; संघ की रिपोर्ट से गरमाई राजनीति
मुंबई: महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन को लेकर संघ ने कुछ ऐसा कह दिया है, जिससे महाराष्ट्र की राजनीति गरमा गई है। दरअसल संघ ने अपने साप्ताहिक मराठी अखबार की एक रिपोर्ट में दावा किया है कि राज्य में भाजपा के खराब प्रदर्शन की वजह अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी से गठबंधन है। आरएसएस के इस दावे पर एनसीपी (एसपी) ने कहा है कि अब भाजपा को अजित पवार की जरूरत नहीं है।
‘लोगों ने बताया असली एनसीपी कौन सी है’
एनसीपी (एसपी) प्रवक्ता क्लाइड क्रास्टो ने कहा कि ये दिखाता है कि अब भाजपा को अजित पवार जी और उनकी टीम की जरूरत नहीं है। भाजपा पार्टियां और परिवार तोड़ती है ताकि कुछ वोट पा सके। लेकिन महाराष्ट्र के लोगों ने सिद्ध कर दिया है कि असली एनसीपी कौन सी है, जिसका नेतृत्व शरद पवार करते हैं। लोगों ने बता दिया है कि असली शिवसेना कौन सी है, जिसका नेतृत्व उद्धव ठाकरे करते हैं। भाजपा को ये पता चल गया है कि अजित पवार के साथ से उन्हें नुकसान हुआ है। यहां तक कि अजित पवार गुट के नेताओं को भी ये अहसास हो गया है कि उन्होंने अजित पवार के साथ आकर गलती कर दी है। मुझे लगता है कि अब समय आ गया है, जब भाजपा, अजित पवार से पल्ला झाड़ना चाहती है।’
‘विधानसभा चुनाव से पहले कई नेता अजित पवार का साथ छोड़ देंगे’
एनसीपी (एसपी) प्रवक्ता ने कहा कि ‘लोकसभा चुनाव में अजित पवार गुट ने खराब प्रदर्शन किया, जो उनके साथ गए, उन्हें हारना पड़ा। अब वे सभी लोग कह रहे हैं कि अगर वे अजित पवार के साथ रहे तो उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव में भी हार का सामना करना पड़ सकता है। विधानसभा चुनाव से पहले कई नेता अजित पवार को छोड़ सकते हैं।’ संघ की रिपोर्ट पर एनसीपी एसपी नेता सुप्रिया सुले ने कहा कि ये उनका आंतरिक मामला है और इस बारे में भाजपा और आरएसएस ही जवाब दे सकते हैं।
लेख में कहा गया- एनसीपी से गठबंधन से खुश नहीं थे कार्यकर्ता
संघ के मराठी साप्ताहिक अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है कि हर भाजपा कार्यकर्ता ने लोकसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन की एक वजह एनसीपी के साथ गठबंधन को बताया है। साफ है कि भाजपा कार्यकर्ताओं को एनसीपी के साथ गठबंधन रास नहीं आया। भाजपा नेताओं को भी ये पता था। शिवसेना के साथ भाजपा के गठबंधन को शुरुआती अड़चनों के बाद हिंदुत्व के नाते स्वीकार कर लिया गया था। वहीं जिन भाजपा कार्यकर्ताओं ने विचारधारा के स्तर पर एनसीपी से लड़ाई लड़ी थी, वो इस गठबंधन से नाराज हुए। लेख में ये भी कहा गया है कि हिंदुत्व, प्रशासन, उद्योग, अर्थव्यवस्था, शिक्षा और रोजगार के मुद्दे पर भी लोगों में थोड़ी नाराजगी थी, खासकर पढ़े-लिखे मध्यम वर्ग में इन मुद्दों पर खासी नाराजगी देखी गई।