थोक के बाद खुदरा महंगाई दर में भी नरमी; छह साल के निचले स्तर 3.34% पर पहुंची

खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी के 3.61 प्रतिशत की तुलना में मार्च में मामूली रूप से घटकर 3.34 प्रतिशत रह गई। मंगलवार को जारी सरकारी आंकड़ों में इसकी पुष्टि की गई है। सब्जियों और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों की कीमतों में नरमी के कारण खुदरा मुद्रास्फीति मार्च में मामूली रूप से घटकर लगभग छह साल के निचले स्तर 3.34 प्रतिशत पर आ गई।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति फरवरी में 3.61 प्रतिशत और पिछले वर्ष मार्च में 4.85 प्रतिशत थी। मार्च 2025 में खुदरा महंगाई की दर अगस्त 2019 के बाद सबसे कम रही। उस समय यह 3.28 प्रतिशत थी।

महंगाई के आंकड़ों में क्या आया सामने?
मार्च में खाद्य मुद्रास्फीति 2.69 प्रतिशत थी, जबकि फरवरी में यह 3.75 प्रतिशत और मार्च 2024 में 8.52 प्रतिशत थी। पिछले हफ्ते, रिजर्व बैंक ने महंगाई में आ रही कमी को देखते हुए प्रमुख अल्पकालिक उधार दर यानी रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती का एलान किया था।

आरबीआई ने 2025-26 में खुदरा महंगाई दर 4% रहने का जताया है अनुमान
रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए सीपीआई आधारित खुदरा महंगाई दर 4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। पहली तिमाही में महंगाई दर 3.6 प्रतिशत, दूसरी तिमाही 3.9 प्रतिशत, तीसरी तिमाही 3.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है। आरबीआई के अनुसार महंगाई का जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।

इस बीच, मंगलवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सब्जियों, आलू और अन्य खाद्य वस्तुओं की कीमतें घटने से थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति भी मार्च में छह महीने के निचले स्तर 2.05 प्रतिशत पर आ गई। फरवरी में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति 2.38 प्रतिशत थी। पिछले साल मार्च में यह 0.26 प्रतिशत थी।

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