मुख्य सचिव पीके मिश्रा ने बीमा विस्तार पर जताई चिंता, कहा-इंश्योरेंस अभी भी गरीबों के लिए चुनौती
नई दिल्ली: भारत सहित दुनियाभर में आपदाओं की बढ़ती आवृत्ति और तीव्रता पर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा ने विविध क्षेत्रों और संस्थाओं में बीमा कवरेज का विस्तार करने की वकालत की है। पी के मिश्रा शनिवार को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) की एक कार्यशाला में बोल रहे थे। जिसका विषय था ‘आपदा जोखिम बीमा क्यों महत्वपूर्ण है – प्रमुख अवधारणाएं और लाभ’।
उन्होंने कहा कि, यह सुनिश्चित करना कि बीमा न केवल उपलब्ध हो, बल्कि सबसे तबके के लोगों तक उसकी पहुंच भी हो। यह एक प्रमुख चुनौती है। कार्यक्रम में बोलते हुए पीके मिश्रा ने कई सवाल भी उठाए, जैसे-“क्या सरकार को बीमा बाजार के विकास में उत्प्रेरक की भूमिका निभानी चाहिए? या उसे कुछ क्षेत्रों में बीमा खरीदने में प्रत्यक्ष भूमिका निभानी चाहिए? सरकार को किस प्रकार सार्वजनिक-निजी भागीदारी बनानी चाहिए जिससे बीमा सेवाओं और उत्पादों की पहुंच में सुधार हो?
गरीब तबके के लिए बीमा खरीदना अभी भी चुनौती है- मिश्रा
पीके मिश्रा ने इस मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए कहा कि, ये सवाल सीधे तौर पर बीमा-संबंधी हस्तक्षेपों की राजकोषीय स्थिरता से जुड़े हुए हैं। उन्होंने मजबूत विशेषज्ञता और एक स्पष्ट कानूनी ढांचे की आवश्यकता पर भी जोर दिया। बीमा कवरेज के विस्तार में उभरते रुझानों पर पीके मिश्रा ने दो अहम मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया। जिनमें जनसंख्या के उन वर्गों तक प्रभावी ढंग से पहुंचने के तरीके शामिल हैं। जिनके लिए बीमा खरीदना अभी भी एक बड़ी चुनौती है।
मिश्रा ने कहा कि सवाल ये उठते हैं कि बीमा लोगों के लिए किस प्रकार अधिक किफायती मूल्य पर उपलब्ध हो, अधिक जागरूकता तथा सरलीकृत दावा निपटान प्रक्रिया के माध्यम से बीमा की पहुंच को व्यापक बनाया जाए। इस मामले पर पीएम मोदी विजन और प्रतिबद्धता पर बात करते हुए उन्होंने आपदा जोखिम न्यूनीकरण (डीआरआर) पर एक सर्वसमावेशी 10 सूत्री एजेंडे के विस्तार के बारे में बात की।
‘हर सेक्टर के लिए जरूरी है आपदा बीमा’
पीके मिश्रा ने आगे कहा कि, आपदा जोखिम कवरेज सभी के लिए आवश्यक है, चाहे वह गरीब परिवार हों, छोटे और मध्यम धंधे हों या फिर बहुराष्ट्रीय निगम हों या राष्ट्र-राज्य हों। उन्होंने दो अहम सरकार समर्थित बीमा कार्यक्रमों- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) और आयुष्मान भारत के बारे में भी बात की। मिश्रा ने कहा कि ये दोनों पहल सामाजिक समानता, वित्तीय समावेशन और घरेलू स्तर पर जोखिम प्रबंधन को बढ़ावा देने के सरकार के व्यापक एजेंडे में शामिल हैं। जो विकास लक्ष्यों के साथ बीमा के महत्वपूर्ण जुड़ाव को दिखाती हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर आपदा जोखिमों के लिए विविध बीमा उत्पाद तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।