गुजरात हाईकोर्ट का आदेश- मोरबी पुल हादसे के पीड़ितों से मिलकर जमीनी हकीकत जानें न्याय मित्र और वकील
अहमदाबाद: मोरबी ब्रिज हादसे को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए गुजरात हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि न्याय मित्र के एक वकील के साथ हादसे के पीड़ितों से मुलाकात करें। कोर्ट ने कहा कि न्याय मित्र और वकील पीड़ितों से हकीकत जानें और रिपोर्ट दाखिल करें। गुजरात हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल की खंडपीठ ने मोरबी ब्रिज हादसे को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर स्वत: सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया। 30 अक्तूबर 2022 को गुजरात की मच्छु नदी पर ब्रिटिश काल में निर्मित मोरबी पुल गिर गया था। इसमें 135 लोगों की मौत हो गई थी और 56 लोग घायल हो गए थे।
कोर्ट ने कहा कि हम चाहते हैं कि कोर्ट की ओर से किसी को पीड़ितों से मुलाकात और बात करनी चाहिए। न्याय मित्र पीड़ितों के पास जाएं और उनकी हकीकत को समझने का प्रयास करें। इसके बाद कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करें। मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि एक वकील को भी न्याय मित्र के साथ पीड़ितों से मिलकर उनके मुद्दों को समझना चाहिए। एक पीड़ित के मुआवजा लेने से इन्कार करने को लेकर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वकीलों को संबंधित व्यक्ति की काउंसलिंग करनी चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश अग्रवाल ने कहा कि हम स्वतंत्र राय चाहते हैं। सबसे मिलकर बात करके पीड़ितों को समझाना चाहते हैं कि कोर्ट उनके साथ है। न्याय मित्र और वकील अगस्त में ही पीड़ितों से मिलें। कोर्ट ने आदेश दिया कि जिलाधिकारी न्याय मित्र और वकील को आवश्यकता सहायता उपलब्ध कराएंगे।
कोर्ट में एडवोकेट जनरल कमल त्रिवेदी ने कहा कि पुल के निर्माण और रखरखाव की जिम्मेदारी संभाल रहे ओरेवा ग्रुप ने 18 जुलाई को बैठक की थी। ग्रुप ने अपने प्रतिनिधियों को हर तीन महीने पर पीड़ितों से मिलकर उनकी जरूरतों को जानने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि जिला बाल कल्याण अधिकारी ने ग्रुप के प्रतिनिधियों के साथ पीड़ितों से बात की थी। इस दौरान सात बच्चे अनाथ मिले। जबकि जिन 14 बच्चों ने अपने किसी अभिभाववक को खो दिया, उनसे तीन महीने में एक बार मुलाकात की जाती है। त्रिवेदी ने कहा कि जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने भी पीड़ितों से मिलकर बात की है। ग्रुप ने हर पीड़ित की देखभाल करने का फैसला किया है।