‘कॉरपोरेशन घोटाले में हनीट्रैप से फंसाए अधिकारी, खरीदीं लग्जरी कारें’, भाजपा नेताओं का बड़ा आरोप
बंगलूरू: कर्नाटक के चर्चित महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम घोटाले को लेकर नया खुलासा हुआ है। दरअसल भाजपा नेताओं ने आरोप लगाए हैं कि घोटालेबाजों ने धन की हेराफेरी करने के लिए सरकारी और बैंक अधिकारियों को हनीट्रैप में फंसाया। वरिष्ठ भाजपा नेता बी श्रीरामुलु ने गुरुवार को दावा किया कि आदिवासी लोगों के कल्याण के लिए रखे गए धन में हेराफेरी कर उससे महंगी लग्जरी कारें खरीदी गईं। उन्होंने कहा कि घोटाले की रकम को लोकसभा चुनाव सहित विभिन्न चुनावों में इस्तेमाल किया गया।
‘घोटाले के पैसों से खरीदी लेम्बोर्गिनी कार’
श्रीरामुलु ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया, ‘घोटालेबाजों ने वाल्मीकि निगम के फंड से एक लेम्बोर्गिनी कार खरीदी और ‘हवाला’ चैनलों के जरिए धन डायवर्ट कर इसे चुनावों में खर्च किया।’ पूर्व मंत्री और भाजपा नेता नरसिंह नायक ने इस घाटोले में राज्य सरकार की भूमिका को भी संदिग्ध बताया। नायक ने कहा कि ‘हम सभी जानते हैं कि वित्त सचिव की मंजूरी के बिना तीन करोड़ रुपये से अधिक राशि हस्तांतरित नहीं की जा सकती, लेकिन एक ही दिन में 50 करोड़ रुपये हस्तांतरित कर दिए गए। यह आश्चर्य की बात है कि सरकार में किसी को भी इसके बारे में पता नहीं था।’
187 करोड़ रुपये की अवैध राशि हस्तांतरित की गई
भाजपा नेता के अनुसार, यह राशि 16 व्यवसायियों के खातों में हस्तांतरित की गई। हस्तांतरित की गई राशि 4.12 करोड़ रुपये से 5.98 करोड़ रुपये के बीच थी। दोनों भाजपा नेताओं ने कांग्रेस विधायक बी नागेंद्र की गिरफ्तारी की मांग की, जिन्होंने घोटाला सामने आने के बाद आदिवासी कल्याण मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। कथित घोटाले का खुलासा तब हुआ जब निगम के लेखा अधीक्षक चंद्रशेखरन पी ने 26 मई को आत्महत्या कर ली थी और एक सुसाइड नोट छोड़ा। सुसाइड नोट में चंद्रशेखर पी ने आरोप लगाया कि निगम से 187 करोड़ रुपये की राशि अवैध रूप से हस्तांतरित की गई। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, इसमें कुछ आईटी कंपनियों और हैदराबाद स्थित एक सहकारी बैंक के विभिन्न खातों में अवैध रूप से जमा किए गए 88.62 करोड़ रुपये भी शामिल हैं।