मुदा घोटाले में मैसूरु के उपायुक्त केवी राजेंद्र का तबादला, जी. लक्ष्मीकांत रेड्डी ने संभाला पद
नई दिल्ली: मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (मुदा) में भूमि घोटाले पर विवाद के बीच कर्नाटक सरकार ने बड़ा फैसला लिया। उन्होंने मैसूरु के उपायुक्त केवी राजेंद्र का तबादला कर दिया। भाजपा के वरिष्ठ नेता आर. अशोक ने पहले आरोप लगाया था कि राजेंद्र ने मुदा को कई चिट्ठियां लिखी थी, जिसमें कहा गया था कि “50:50 अनुपात” योजना के तहत आवासीय लेआउट बनाने के लिए भूमि खोने वालों से प्राप्त भूमि के बदले में वैकल्पिक स्थलों का आवंटन अनुचित था। बता दें कि राजेंद्र उन 21 आईएएस अधिकारियों में शामिल थे जिन्हें सरकार ने नौकरशाही पेरबदल में स्थानांतरित कर दिया था। राजेंद्र की जगह जी लक्ष्मीकांत रेड्डी ने लिया। लक्ष्मीकांत रेड्डी वर्तमान में कर्नाटक शहरी बुनियादी ढांचा विकास और वित्त निगम बेंगलुरु के प्रबंध निदेशक हैं।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की भाजपा की मांग को गुरुवार को खारिज कर दिया। वहीं, विपक्षी पार्टी ने भूमि खोने वालों को धोखाधड़ी से जमीन आवंटित करने के खिलाफ अपना प्रदर्शन तेज कर दिया। भाजपा ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को मैसूर के एक पॉश इलाके में वैकल्पिक जमीन आवंटित की गई थी। इस जमीन का मूल्य उनकी भूमि के स्थान की तुलना में अधिक था, जिसे एमयूडीए द्वारा अधिग्रहित किया गया था। साथ ही विपक्ष ने सीएम से उनके इस्तीफे की मांग की।
क्या है आरोप
एमयूडीए ने पार्वती को तीन एकड़ से अधिक भूमि के बदले 50-50 अनुपात योजना के तहत जमीन आवंटित की थी, जिसे प्राधिकरण ने आवासीय लेआउट विकसित करने के लिए अधिग्रहित किया था। बता दें, विवादास्पद योजना के तहत लेआउट बनाने के लिए अधिग्रहित अविकसित भूमि के बदले में 50 प्रतिशत विकसित जमीन आवंटित करने की परिकल्पना की गई है।
भाजपा का आरोप है कि एमयूडीए द्वारा जमीन गंवाने वालों को भूमि देने में चार हजार करोड़ रुपये की अनियमितताएं हुई हैं। विपक्ष के एक नेता ने दावा किया नियमों का उल्लंघन करते हुए 4,500-5,000 भूमि आवंटित की गई है।