‘भारत का बुनियादी ढांचा आश्चर्यजनक बदलाव के दौर से गुजर रहा’, गौतम अदाणी ने किया ये बड़ा एलान

अदाणी समूह हरित ऊर्जा उत्पादन के लिए ऊर्जा हस्तांतरण परियोजनाओं और विनिर्माण क्षमता में 100 अरब डॉलर (लगभग 835 करोड़ रुपये) से अधिक का निवेश करेगा। समूह के मुखिया गौतम अदाणी ने बुधवार को क्रिसिल के एक कार्यक्रम में यह एलान किया।गौतम अदाणी ने बताया कि सूरज की रोशनी और पवन चक्की से बिजली का उत्पादन करने के लिए सौर पार्कों व विंड फार्म्स के निर्माण के अलावा समूह हरित हाइड्रोजन, पवन ऊर्जा टरबाइन और सौर पैनल बनाने के लिए इलेक्ट्रोलाइजर बनाने से जुड़े प्रमुख सुविधाओं का निर्माण कर रहा है।

ग्रीन हाइड्रोजन, जिसे स्वच्छ ऊर्जा द्वारा संचालित इलेक्ट्रोलाइज़र की मदद से पानी से हाइड्रोजन को विभाजित करके बनाया जाता है, को उद्योग के साथ-साथ परिवहन क्षेत्र को डीकार्बोनाइज़ करनेकी दिशा में संभावित रामबाण के रूप में देखा जाता है।क्रिसिल के ‘इंफ्रास्ट्रक्चर- द कैटेलिस्ट फॉर इंडियाज फ्यूचर’ कार्यक्रम में अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी ने कहा कि ऊर्जा संक्रमण और डिजिटल बुनियादी ढांचा क्षेत्र में एक ट्रिलियन डॉलर के अवसर हैं, जो भारत को स्थानीय और वैश्विक स्तर पर बदल देंगे।

गौतम अदाणी ने कहा “अगले दशक में हम एनर्जी ट्रांजिशन (ऊर्जा हस्तांतरण) के क्षेत्र में 100 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश करेंगे और हमारी एकीकृत नवीकरणीय ऊर्जा मूल्य शृंखला का और विस्तार करेंगे। समूह पहले से ही हरित ऊर्जा उत्पादन के लिए आवश्यक हर प्रमुख घटक के निर्माण का विस्तार करता है।”

अदाणी समूह के मुखिया गौतम अदाणी ने क्रिसिल के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, “मैं बहुत विश्वास के साथ कह सकता हूं कि आज हम ऐसे मोड़ पर खड़े हैं जहां भारत का बुनियादी ढांचा उद्योग एक आश्चर्यजनक बदलाव के दौर से गुजर रहा है। इसके प्रभाव को हम पूरी तरह से तब समझ पाएंगे जब हम एक दशक पीछे देखेंगे।

हमने एक बुनियादी ढांचा पूंजीगत व्यय चक्र शुरू किया जो पहले कभी नहीं देखा गया था। इसके जरिए भारत के कई दशकों के विकास की नींव रखी गई। यह शासन की गुणवत्ता के साथ शुरू हुआ, इसलिए विश्व स्तर पर बहुत कम क्षेत्र सरकारी नीति के साथ इतने मजबूती से जुड़े हुए हैं।” अदाणी ने कहा, “इससे पहले कि मैं भारत और फिर बुनियादी ढांचे के भविष्य के बारे में बात करूं, यह महत्वपूर्ण है कि हम समझें कि हमें यहां लाने के लिए नीतिगत बदलाव कितने आवश्यक थे।”

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