जेल में बंद पूर्व PM इमरान खान को बड़ी राहत, नौ मई हिंसा से जुड़े दो मामलों में बरी
जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए राहत भरी खबर है। पाकिस्तान की एक अदालत ने नौ मई की हिंसा से जुड़े दो मामलों में गुरुवार को उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं होने का हवाला देते हुए उन्हें बरी कर दिया।
नौ मई को भड़की थी हिंसा
शक्तिशाली सेना के साथ मतभेद करने के बाद से खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी को कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के संस्थापक खान के समर्थकों ने कथित भ्रष्टाचार के एक मामले में गिरफ्तारी के बाद पिछले साल संवेदनशील सैन्य प्रतिष्ठानों सहित सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था। नौ मई को भड़की हिंसा के मद्देनजर पार्टी के नेताओं को गिरफ्तारियों और पलायन का सामना करना पड़ा था।
सबूत पर्याप्त नहीं
पीटीआई संस्थापक के खिलाफ शहजाद टाउन पुलिस थाने में दर्ज दो मामलों को चुनौती देने वाली याचिका को इस्लामाबाद के जिला एवं सत्र अदालत के न्यायिक मजिस्ट्रेट उमर शब्बीर ने मंजूरी दे दी। हालांकि, 71 साल के खान को लेकर अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए सबूत पर्याप्त नहीं है। इसलिए इन मामलों में उन्हें दोषी नहीं ठहराया जाता है।
15 मई को बरी किया
खान को नौ मई की तोड़फोड़ से जुड़े दो मामलों में 15 मई को बरी कर दिया गया है। न्यायिक मजिस्ट्रेट साहिब बिलाल ने पूर्व प्रधानमंत्री को बरी करने का आदेश जारी किया। खान के खिलाफ ये दोनों मामले इस्लामाबाद के खन्ना पुलिस स्टेशन में दर्ज किए गए थे।
बुशरा पर बनाया जा रहा दबाव
पीटीआई के संस्थापक के खिलाफ लॉन्ग मार्च और अनुच्छेद 144 के उल्लंघन के मामले दर्ज किए गए थे। वहीं, खान ने आरोप लगाया था कि उनकी पत्नी बुशरा बीबी को कथित तौर पर उन पर दबाव बनाने के लिए निशाना बनाया जा रहा है और जो लोग उन पर अंगुली उठा रहे हैं, वे पार्टी को ‘खत्म’ करने के प्रयास के तहत ऐसा कर रहे हैं। खान ने कहा था कि उन्होंने सेना के साथ कभी टकराव नहीं किया। उन्होंने दावा किया था कि पूर्व सेना प्रमुख ने उनकी पीठ में छुरा घोंपा, लेकिन उन्होंने संयम बरता।