CM धामी बोले- वजूद बचाने को लड़ रहे राहुल-अखिलेश; 2029 का चुनाव भी पीएम मोदी के नेतृत्व में लड़ेंगे
लखनऊ: लोकसभा चुनाव में धुआंधार प्रचार में जुटे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राहुल गांधी और अखिलेश यादव की जोड़ी पर तंज कसते हुए कहा कि ये दोनों सरकार बनाने के लिए नहीं बल्कि अपना अस्तित्व बचाने के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी जब अपने परिवार की परंपरागत सीट अमेठी से चुनाव लड़ने का साहस नहीं जुटा सके तो समझा जा सकता है कि वे कितने कमजोर हैं। चुनावी प्रचार के सिलसिले में यूपी से महाराष्ट्र जाने से पहले अभिषेक गुप्ता ने पुष्कर सिंह धामी से विशेष बातचीत की, पेश हैं प्रमुख अंश…..
सवाल- देश और प्रदेश में एनडीए को लेकर कैसा माहौल है।
जवाब- जनता नरेन्द्र मोदी को तीसरी वार प्रधानमंत्री बनाने के लिए संकल्पित है। दस वर्ष पहले और आज का भारत देख लीजिए। खुद ही गर्व महसूस करेंगे। अभी तक 200 सीटें खाते में आ चुकी हैं। सातवें चरण तक 200 से ज्यादा और सीटें हम जीतने जा रहे हैं।
सवाल- यूपी में भाजपा कितनी सीटें जीत रही हैं।
जवाब- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कार्यकाल शानदार है। विकास मैं यूपी बहुत आगे है। एक्सप्रेस वे हो या निवेश.. सभी में अव्वल है। कानून का राज है। जिसने इस प्रदेश की छवि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बदली है। यहां से पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में कहीं ज्यादा सीटें अकेले भाजपा जीतेगी।
सवाल- लगातार मतदान प्रतिशत गिर रहा है, क्या यह चिंता की बात है।
जवाब- गर्मी के बावजूद लोग मोदी को पीएम बनाने के लिए घरों से निकल रहे हैं और आगे भी निकलेंगे। कम मतदान इंडी गठबंधन के लिए खतरा है। उनके समर्थक जान चुके हैं कि इंडी गठबंधन की सरकार दूर-दूर तक नहीं बनने जा रही।
सवाल -क्या चुनाव को सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है।
जवाब- मोदी ने गरीब कल्याण और विकास के काम किए हैं। इसके साथ विपक्ष की साजिश भी सामने लाना जरूरी है। एक वर्ग विशेष की वकालत की जा रही है। इसीलिए मोदी कह रहे हैं कि अपने जीतेजी एक वर्ग विशेष के लिए आरक्षण लागू नहीं करने देंगे।
सवाल- यूपी में राहुल और अखिलेश की जोड़ी 80 सीटें जीतने का दावा कर रही है।
जवाब- राहुल और अखिलेश की जोड़ी सरकार के लिए नहीं बल्कि अपने परिवार और अपना अस्तित्व बचाने के लिए चुनाव लड़ रही है। जब राहुल अपनी परंपरागत सीट से चुनाव लड़ने का साहस नहीं जुटा सके। इसी से जमीनी हकीकत समझी जा सकती है। रहुल के बयान को गंभीरता से कोई नहीं लेता है तो वह सनातन धर्म पर हमले करने लगते हैं। सांप्रदायिकता का राग अलापने लगते हैं।