प्रवासियों की बात करते-करते चीन से भारत-जापान की तुलना करने लगे राष्ट्रपति बाइडन, दे दिया अटपटा बयान
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन अपने बयानों के कारण अक्सर काफी सुर्खियों में रहते हैं। अब एक बार फिर उन्होंने कुछ ऐसा बोल दिया, जिससे विवाद बढ़ सकता है। दरअसल, प्रवासियों का जिक्र करते हुए बाइडन ने भारत-जापान की तुलना चीन से कर दी। उन्होंने कहा कि चीन, भारत और जापान में जेनोफोबिया यानी प्रवासियों के प्रति डर है, इसलिए इन देशों का आर्थिक विकास नहीं हो पा रहा है। साथ ही उन्होंने तर्क दिया कि प्रवासन संयुक्त राज्य अमेरिका की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है।
फंड जुटाने वाले एक कार्यक्रम में बोले बाइडन
गौरतलब है, अमेरिका में इस साल राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं। ऐसे में राष्ट्रपति बाइडन और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच कड़ा मुकाबला है। दोनों नेता एक दूसरे से आगे निकलने के लिए एक दूसरे पर वार-पलटवार करते रहते हैं। इस बीच, राष्ट्रपति चुनाव के लिए फंड जुटाने वाले एक कार्यक्रम में बाइडन ने कहा, ‘हमारी अर्थव्यवस्था क्यों बढ़ रही है इसका एक कारण आप और कई अन्य लोग हैं।’ उन्होंने कहा कि हम इसलिए आगे बढ़ रहे हैं क्योंकि हम प्रवासियों का स्वागत करते हैं।
आर्थिक रूप से क्यों पिछड़ रहा चीन
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘चीन आर्थिक रूप से इतनी बुरी तरह क्यों पिछड़ रहा है। जापान को क्यों समस्या हो रही है, रूस और भारत को क्यों हैं, क्योंकि वे जेनोफोबिक हैं। वे प्रवासियों को नहीं चाहते हैं। अप्रवासी ही हमें मजबूत बनाते हैं।’
आईएमएफ ने विश्व अर्थव्यवस्थाओं पर क्या कहा?
बाइडन का बयान अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पिछले महीने के पूर्वानुमान को लेकर आया है। दरअसल, आईएमएफ का कहना था कि प्रत्येक देश साल 2023 की तुलना में 2024 में अपनी वृद्धि में गिरावट देखेगा। जापान में 0.9 फीसदी से लेकर भारत में 6.8 फीसदी तक गिरावट दर्ज की जा सकती है। जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका 2.7 फीसदी की दर से बढ़ेगा, जो 2023 में 2.5 फीसदी से थोड़ा ज्यादा होगा।
जो बाइडन का आव्रजन पर रुख
कई सर्वेक्षणों से पता चला है कि नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले कई अमेरिकी मतदाताओं के बीच प्रवासन एक बड़ी चिंता का विषय रहा है। जो बाइडन ने प्रवासन पर अपने रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी डोनाल्ड ट्रंप के रुख की निंदा की है क्योंकि उनके प्रशासन ने जापान और भारत सहित देशों के साथ व्यापक आर्थिक और राजनीतिक संबंधों पर ध्यान केंद्रित किया है।