ये हैं देश की ‘पहली महिलाएं’, जिन्होंने अपने क्षेत्र में रचा इतिहास
भारत पुरुष प्रधान देश है, जहां एक दौर था जब महिलाओं को शिक्षा का अधिकार नहीं था। बाल विवाह, विधवा विवाह समेत कई रूढ़िवादी प्रथाओं से भारतीय समाज ग्रसित था। हालांकि वक्त के साथ इन विचारधाराओं में बदलाव आया और प्रथाओं का अंत हुआ। आज महिलाएं उन बाधाओं को पार करके कामयाबी की राह तलाश रही हैं। कई क्षेत्रों में महिलाओं का परचम हैं। वर्तमान में देश की राष्ट्रपति एक महिला है। वहीं राजनीति से लेकर खेल जगत और रक्षा क्षेत्र से लेकर प्रशासनिक सेवा तक में महिलाओं की स्थिति मजबूत हुई है।
हालांकि महिलाओं को इन क्षेत्रों में प्रोत्साहित करने का श्रेय इतिहास की कुछ महिलाओं को जाता है, जो अपने कार्य और प्रतिभा का लोहा मनवा चुकी हैं। भारत की कुछ महिलाएं हैं जो अपने क्षेत्र में प्रथम है। आइए जानते हैं ऐसी महिलाओं के बारे में, जिन्हें भारतीय इतिहास में ‘प्रथम महिला’ की उपाधि मिली हुई है।
इंदिरा गांधी
इंदिरा गांधी भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने भारत की राजनीति में ही नहीं बल्कि वैश्विक मंच पर भी अलग छाप छोड़ी। वह लगातार 3 बार भारत की प्रधानमंत्री रहीं। चौथी बार 1980 से 1984 तक फिर पीएम पद पर रहीं। इंदिरा गांधी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गईं। इंदिरा वह प्रधानमंत्री हैं, जिनके शासनकाल में 1971 का युद्ध हुआ और पाकिस्तान के दो टुकड़े व बांग्लादेश नया देश बना।
सावित्री बाई फुले
देश की पहली महिला शिक्षक सावित्री बाई फुले हैं। महाराष्ट्र में जन्मी सावित्री बाई ने उस दौर में शिक्षा हासिल की, जब लड़कियों के पढ़ने को पाप समझा जाता था। दलितों के लिए शिक्षा अपराध रूपी थी। उन्होंने न केवल खुद शिक्षा हासिल की, बल्कि लड़कियों के लिए 18 स्कूल खोले। बाल विवाह, सती प्रथा जैसे अंधविश्वास और रूढ़ियों की बेड़ियां तोड़ने के लिए संघर्ष किया।
किरण बेदी
भारत की पहली महिला आईपीएस किरण बेदी थीं। उनका जन्म 1949 को अमृतसर के पंजाब में हुआ था। देश की पहली महिला आईपीएस बनने का गौरव प्राप्त करने वाली किरण बेदी को उनके कार्यों की वजह से जाना जाता है। कहते हैं कि किरण बेदी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की कार को पार्किंग नियमों के उल्लंघन करने पर क्रेन से उठवा लिया था और जुर्माना लगाया था।
मैरी कॉम
भारतीय महिला मुक्केबाज मैरी कॉम 6 बार विश्व चैंपियन रह चुकी हैं। ओलंपिक में कांस्य जीतकर उन्होंने महिला मुक्केबाजी में अपना स्थान सर्वोच्च निर्धारित कर लिया। दो बच्चों को जन्म देने के बाद भी मैरी कॉम बॉक्सिंग रिंग में उतरीं और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मंच पर मेडल दिलाया।