नौकरशाहों के रिटायरमेंट के तुरंत बाद चुनाव लड़ने पर रोक की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नौकरशाहों के कूलिंग ऑफ पीरियड से संबंधित याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सही प्राधिकरण के सामने ये मामला उठाने को कहा। दरअसल याचिका में मांग की गई थी कि नौकरशाहों को रिटायरमेंट या इस्तीफे के तुरंत बाद चुनाव लड़ने पर रोक लगाई जाए। साल 2012 में चुनाव आयोग द्वारा भी ऐसी सिफारिश की गई थी। याचिका में आयोग की सिफारिश लागू करने की मांग की गई।
याचिका में की गई थे ये मांग
जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने याचिकाकर्ता जीवी हर्ष कुमार को अपनी याचिका वापस लेने और सही प्राधिकरण के सामने इस मामले को उठाने का निर्देश दिया। याचिका में मांग की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को निर्देश दे कि साल 2012 में की गई चुनाव आयोग की सिफारिश को लागू किया जाए। साथ ही जुलाई 2004 में सिविल सेवा सुधार को लेकर बनाई गई समिति की रिपोर्ट में की गई सिफारिश को भी लागू किया जाए ताकि नौकरशाहों के रिटायरमेंट या इस्तीफे के तुरंत बाद विधानसभा, लोकसभा चुनाव लड़ने पर रोक लग सके।
याचिका में मांग की गई सरकारी अधिकारियों के लिए एक विराम काल (कूलिंग ऑफ पीरियड) होना चाहिए, जिसे पूरा करने के बाद ही नौकरशाह राजनीति के मैदान में उतर सकें। याचिका में ये भी मांग की गई थी कि उन नौकरशाहों को जो विधानसभा या संसद सदस्य के तौर पर भी सेवाएं दे चुके हैं, उन्हें एक ही पेंशन मिले। पूर्व सांसद जीवी हर्ष कुमार की इस याचिका को वकील श्रवण कुमार कर्नम के माध्यम से दायर किया गया था।