दबंगों, सूरमाओं और दलबदलुओं के बीच नई पौध, बसपा तय करेगी समीकरण
लखनऊ: होली दस्तक दे रही है। होरियारी खुमारी में चुनावी शहनाई भी बज गई है। चुनावी पिचकारी की बौछारों से अवध के आंगन में सतरंगी नजारे हैं। यहां सियाराम की जय जयकार है, तो लोकतंत्र के उत्सव में चल रही शह-मात की बयार है। सुल्तानपुर में मां मेनका गांधी के टिकट पर बेटा वरुण गांधी पर मगजमारी, तो कैसरगंज में ब्रजभूषण शरण सिंह की सीट पर कई विधायकों की दावेदारी है।
यहां दबंग हैं। दलबदलू हैं। परिवारवादी हैं, तो सियासत के मास्टर राजनाथ सिंह और स्मृति जूबिन इरानी भी हैं। परिवारवाद के उलाहने हैं, अमृत महोत्सव की खुमारी है, लेकिन कौशल किशोर (पत्नी विधायक) और रितेश पांडेय (पिता विधायक) कई बड़ों पर पड़े भारी हैं। एक दल में होने के बावजूद कीर्तिवर्धन सिंह और ब्रजभूषण शरण सिंह के बीच दिल न मिलने की चर्चा जुबान-जुबान पर तारी है, तो श्रावस्ती से साकेत मिश्र (भाजपा), गोंडा से श्रेया वर्मा (सपा) और बाराबंकी से तनुज पुनिया (कांग्रेस) अवध की सियासत की होनहार तैयारी हैं।
बाराबंकी में उपेंद्र सिंह रावत से जुड़े अश्लील वीडियो का शोर है, तो वीडियो वायरल कराने के शक में होशियार दावेदार पर उल्टा पड़ा रौब है। रायबरेली, कैसरगंज और सुल्तानपुर के लिए सपा-भाजपा-कांग्रेस के टिकट में पहले आप-पहले आप का अनकहा जाप है तो भाजपा के लिए सीतापुर से राजेश वर्मा, मिश्रिख से अशोक सिंह रावत, अयोध्या से लल्लू सिंह फिर निर्विवाद निकले खास हैं। सपा ने बहराइच में पड़ोसी जिले गोंडा के रमेश गौतम से लड़ाई साधी है, तो अयोध्या सामान्य सीट पर दलित समाज के 79 वर्षीय अवधेश प्रसाद उसकी उम्मीदों की आखिरी लाठी हैं।
चुनावी उत्सव का एलान होने के बाद
लोगों की टकटकी भाजपा, सपा-कांग्रेस के बकाया उम्मीदवारों पर तो है ही, सबकी नजर गणित बनाने से ज्यादा बिगाड़ने में माहिर बसपा वालों पर है।
बसपा सभी 80 सीटों पर खुद ही लड़ेगी चुनाव…
कोआर्डिनेटरों के स्तर से सहित कई सीटों पर संभावित प्रत्याशियों की घोषणा शुरू करवा दी गई है। लेकिन बसपा सुप्रीमो की ओर से अधिकृत उम्मीदवारों के एलान का इंतजार है। बसपा के उम्मीदवारों से तय होगा कि अवध में किस सीट पर लड़ाई आमने-सामने वाली होगी या त्रिकोणीय।