अरविंद केजरीवाल के पंजाब दौरों से बढ़ी कांग्रेस की टेंशन , बनाई ये रणनीति
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के लगातार पंजाब दौरों के चलते पंजाब कांग्रेस ने अपनी रणनीति बदलने का फैसला लिया है। सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर सिखों को साधने और फिर चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी देकर दलितों को संदेश देने के बाद अब पार्टी सवर्ण हिंदू वोटर्स को साधने की कोशिश में है।
इसी के तहत कांग्रेस ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और फिलहाल किसी भी जिम्मेदारी से अलग सुनील जाखड़ को प्रमोट करने का फैसला लिया है। जाट नेता सुनील जाखड़ लंबे समय तक प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं और हिंदू वोटर्स में उनका अच्छा प्रभाव रहा है।
एक तरफ राज्य के सीएम चरणजीत चन्नी लगातार खुद को आम आदमी बताते हुए दौरे कर रहे हैं तो वहीं जाट सिखों के बीच नवजोत सिद्धू को पार्टी प्रमोट कर रही है। लेकिन हिंदू मतदाताओं के बीच किसी चेहरे को लेकर पार्टी कमी महसूस कर रही थी। ऐसे में सुनील जाखड़ को एक बार फिर प्रमुखता दी जा सकती है।
पार्टी के एक सीनियर नेता ने कहा कि सिद्धू और चन्नी को बड़ी भूमिका देने के बाद अब सुनील जाखड़ को प्रमोट करने पर विचार चल रहा है। इस बारे में जल्दी ही फैसला लिया जाएगा। उन्हें चुनाव समिति में कोई अहम रोल मिल सकता है। हालांकि अब तक उनकी भूमिका को लेकर कुछ भी स्पष्ट तौर पर नहीं कहा है। लेकिन इस बारे में जल्दी ही ऐलान हो सकता है।
कांग्रेस नेतृत्व 2022 के चुनाव में सीएम चन्नी, प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिद्धू और सुनील जाखड़ को चेहरों के तौर पर पेश करना चाहता है। फिलहाल कांग्रेस नेतृत्व चन्नी या फिर सिद्धू के तौर पर किसी भी नेता को सीएम कैंडिडेट घोषित नहीं करना चाहता है।
लीडरशिप की राय है कि ऐसा करने से विवाद खड़ा हो सकता है, जिस पर बड़ी मशक्कत के बाद काबू पाया जा सका है। इससे पहले मंगलवार को ही सीएम चन्नी, नवजोत सिद्धू और प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी को दिल्ली तलब किया गया था। तीनों नेताओं की कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ मीटिंग थी।