विदेशों में रहने वाले 30 लाख ब्रिटिश नागरिक चुन सकेंगे अब अपना नेता, मतदान करने का मिला अधिकार
साल 2024 दुनिया के लिए अहम साल साबित होने जा रहा है। इस साल भारत, अमेरिका समेत कई देशों (और यूरोपीय यूनियन) में राष्ट्रपति या संसदीय चुनाव होंगे। इस बीच, विदेशों में रहने वाले भारतीयों सहित 30 लाख से अधिक ब्रिटिश नागरिकों के लिए अच्छी खबर आई है। इन लोगों को चुनाव अधिनियम 2022 के लागू होने के बाद ब्रिटिश आम चुनावों और जनमत संग्रह में मतदान का अधिकार मिल गया है।
15 साल की सीमा समाप्त
यह 1928 में पूर्ण महिला मताधिकार की शुरुआत के बाद से ब्रिटिश चुनावी मताधिकार में सबसे बड़ी वृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है। दरअसल, मतदान करने के अधिकारों पर लागू 15 साल की सीमा को समाप्त कर दिया गया है। दुनिया भर में ब्रिटिश नागरिक ऑनलाइन मतदान करने के लिए पंजीकरण कर सकते हैं, चाहें वे कितने समय से विदेश में हों।
तीन साल तक बने रहेंगे सूची में
यह ब्रिटेन के मतदाताओं से जुड़ा हुआ होगा, जहां पर वे या तो मतदान करने के लिए पंजीकृत हैं या रहते हैं। पंजीकरण के बाद, वे तीन साल तक मतदाता सूची में बने रहेंगे। इसके अलावा, पंजीकरण होने के बाद मतदाता डाक या प्रॉक्सी वोट के लिए ऑनलाइन आवेदन भी कर सकते हैं। यह कानून ब्रिटिश कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्यों और विदेशों में समर्थकों के वैश्विक नेटवर्क ‘वोट्स फॉर लाइफ’ अभियान का हिस्सा है, जिसका नेतृत्व कंजर्वेटिव अब्रॉड कर रहा है। यह अभियान लंबे समय से कंजर्वेटिव के घोषणापत्र में रहा है।
अपने मनपसंद नेता को चुन सकेंगे
हाउसिंग एंड कम्युनिटीज विभाग के लिए राज्य सचिव माइकल गोव ने कहा कि आज से, दुनिया भर में लाखों ब्रिटिश नागरिक भविष्य के आम चुनावों में मतदान करने के अपने अधिकार का प्रयोग कर सकते हैं। वह अपने मनपसंद नेता को चुन सकेंगे और अपने कामों के लिए हक से बोल सकेंगे।कंजर्वेटिव पार्टी के अध्यक्ष रिचर्ड होल्डन ने कहा, ‘कंजर्वेटिव्स ने एक बार फिर दिखाया है कि हम लोकतंत्र के लिए पार्टी हैं और एक व्यक्ति के वोट देने के अधिकार की रक्षा कर रहे हैं।’
लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करने से रोका गया
वहीं, कंजर्वेटिव्स अब्रॉड के अध्यक्ष हीथर हार्पर एमबीई ने कहा, ‘विदेश में रहने वाले लाखों लोगों, काम करने वाले और सेवानिवृत्त सभी को वोट देने के अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करने से रोका गया है। यह नया नियम ब्रिटेन को दुनियाभर में अपने नागरिकों के महत्व को पहचानने में अमेरिका, फ्रांस, इटली और न्यूजीलैंड जैसे लोकतंत्रों के बराबर खड़ा करता है।’