चीन के साथ हो सकती है इस देश की लड़ाई , नज़र आई भारी संख्या मे नौकाएं

चीनी नाकेबंदी के बीच फिलीपीन ने सोमवार को हिम्मत दिखाते हुए दक्षिण चीन सागर में एक रेत के ढेर (शाओल) में दो रसद नौकाएं भेजी। यह सेकंड थॉमस नामक इस शाओल में पहले से तैनात फिलीपीन के मरीन गार्ड्स को रसद पहुंचा रही हैं। इससे पहले मंगलवार को चीनी तटरक्षकों ने वाटर कैनन चलाकर फिलीपीन से भेजी गई तीन नौकाएं रोकी थीं।

फिलीपीन के रक्षामंत्री डेल्फिन लॉरेंजाना ने बताया कि ये 2 यात्री नौकाएं लकड़ी की हैं और बिना नौसैनिकों या कोस्टगार्ड की मदद के भेजी गई हैं। यह शर्त मनीला में चीनी राजदूत ने शर्त रखी थी, जिसे मान लिया गया। चीन ने एक साल से इस शाओल को घेर रखा है। यहां फिलीपीन का एक जहाज पहले पहुंच चुका था, जो चीनी निगरानी जहाजों की नाकेबंदी के बीच जमा हुआ है।

तनाव का केंद्र अमेरिका द्वारा फिलीपीन को 1999 में दिया द्वितीय विश्वयुद्ध का जंग खाया जहाज बीआरपी सिएरा माद्रे भी है। चीन इस जहाज को क्षेत्र से हटाने के लिए कहता रहा है। जबकि 2016 के विश्व न्यायाधिकरण के निर्णय के तहत यह क्षेत्र चीन के नियंत्रण में नहीं आता है। फिलीपीन इस जहाज को चौकी की तरह उपयोग कर रहा है।

 फिलीपीन का कहना है कि यह सेकंड थॉमस शाओल वैश्विक कानून के मुताबिक उसके समुद्री आर्थिक क्षेत्र का हिस्सा है। रसद नौकाएं रोकने के बाद उसने चीन को चेताया था कि अमेरिका-फिलीपीन के 1952 के सैन्य समझौते के तहत उसकी नागरिक नौकाओं पर हमले परिणाम चीन को भुगतना पड़ सकता है। चीन पूरे दक्षिण सागर को अपना क्षेत्र बताता है। वियतनाम, मलयेशिया, ब्रुनेई, ताइवान, फिलीपीन आदि देशों से उसके विवाद चल रहे हैं। वह यहां सैन्य गतिविधियां बढ़ाकर इस क्षेत्र में 7 शाओल पर मिसाइलें तैनात कर अपने कब्जे में ले चुका है।

फिलीपीन से 1952 की संधि का हवाला देते हुए अमेरिका ने भी इस हफ्ते कहा था कि वह संधि का पालन करेगा। अगर चीन तनाव बढ़ाकर क्षेत्रीय शांति व स्थायित्व को खतरा पैदा करता है तो वह भी संधि के तहत कदम उठाएगा।

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