डेंगू के बाद ब्लैक फंगस का खतरा , सावधान हो जाए लोग
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में एक मरीज में डेंगू के बाद ब्लैक फंगस (म्यूकर माइकोसिस) होने का दुर्लभ मामला दर्ज किया गया है। ग्रेटर नोएडा निवासी 49 वर्षीय मोहम्मद तालिब डेंगू से ठीक होने के बाद अस्पताल में आंख की नजर की रोशनी चले जाने की शिकायत लेकर पहुंचे थे।
अस्पताल के ईएनटी विभाग के वरिष्ठ डॉ. सुरेश नरूका ने बताया कि जिस मरीज का इलाज कर रहे हैं वह हमारी नजर में ब्लैक फंगस यानि म्यूकर माइकोसिस का दुर्लभ मामला है। मरीज डेंगू से ठीक होने के बाद अचानक एक आंख की रोशनी चले जाने की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंचा। इस तरह के मामले अक्सर मधुमेह, कम प्रतिरोधक क्षमता होने या किसी अन्य संक्रमण के मरीजों में मिलते हैं।
अस्पताल के रजिस्ट्रार डॉ. निशांत राना ने बताया कि अस्पताल में आने से पहले मरीज को नाक से खून आया। ऐसा डेंगू से ठीक होने के 15 दिनों बाद हुआ। डेंगू के दौरान मरीज के प्लेटलेट्स कम हो गए थे। हालांकि, उसे प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ी थी। डेंगू के कारण मरीज की प्रतिरोधक क्षमता कम होने की वजह से उसे म्यूकर माइकोसिस हो गया।
हाल ही में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान देशभर में ब्लैक फंगस के मामले बड़ी संख्या में दर्ज हुए थे। ऐसे मामलों में खासतौर पर डायबिटीज के मरीज कोविड-19 से ठीक होने के बाद ब्लैक फंगस का शिकार हो रहे थे।
डेंगू के बाद म्यूकर माइकोसिस एक नया मामला है। ऐसे में वे मरीज जो अभी हाल ही में डेंगू से ठीक हुए हैं। अगर उन्हें कोई भी नए लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
ईएनटी और हेड एंड नेक सर्जरी के डॉ अतुल आहूजा ने कहा कि डेंगू से ठीक होने के बाद मरीज में राइनोऑर्बिटल म्यूकर माइकोसिस (जिसमें नाक और आंख पर असर पड़ता है) का निदान और प्रबंधन बेहद महत्वपूर्ण है। क्योंकि सर्वश्रेष्ठ इलाज मिलने के बावजूद म्यूकर माइकोसिस के मरीज के आंख की रोशनी हमेशा के लिए जा सकती है। मरीज में संक्रमण इतना गंभीर हो सकता है कि उसे आगे बढ़ने से रोकने के लिए आंख निकालने तक की नौबत आ सकती है।