औषधीय गुणों से भरपूर ये जड़ी बूटी आपको दिलाएगी एंटी-एजिंग का शानदार फॉर्मूला

आयुर्वेद में हिमालय पर पाए जाने वाले मामूली से मामूली पौंधों में औषधीय गुणों का बखान है. इन कंद-मूल के पौंधों से घातक से घातक बीमारियों के नुस्खे बताए गए हैं.

शोधकर्ताओं ने एक इसी तरह के घास-फूस के पौधों में ऐसे एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी-एंफ्लामेटरी कंपाउंड की खोज की जिनसे बुढापा के असर को भगाया जा सकता है या कम किया जा सकता है.

अंग्रेजी में इस पौधे का नाम कोकलेबर और हिन्दी में इसे आर्तगल या वनोकरा कहा जाता है. संस्कृत में इसका नाम नीलपुष्पा है.  इसके कई क्षेत्रीय नाम भी है.अध्ययन में पाया गया कि इस नुकीले और कांटेदार पौंधों में कोलेजन प्रोडक्शन को सक्रिय करने की क्षमता है. कोलेजन एक प्रकार का प्रोटीन है जो स्किन के नीचे रहता है.

अध्ययन दक्षिण कोरिया के मयोंगजी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया है. शोधकर्ताओं ने कहा कि अध्ययन के दौरान वनोकरा के फलों में पाए जाने वाले कंपाउंड ने अल्ट्रावायलट किरणों से स्किन को हुए नुकसान को कम किया.इस लिहाज से यह कॉस्मेटिक क्रीम के रूप में शानदार काम कर सकता है.वैज्ञानिकों ने वनोकरा के फलों से एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटीइंफ्लेमेटरी कंपाउंड को निकालकर इसका सेल कल्चर के माध्यम से

इससे स्किन के नीचे जो घाव था वह बहुत तेजी से भर गया और अल्ट्रा वायलेट रेडिएशन से जो स्किन को नुकसान हुआ था, वह भी खत्म हो गया. यानी यह क्रीम घाव को भी भरने में बहुत जल्दी काम करेगी.

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