श्रीलंका में जीडीपी की तुलना में कर्ज का बोझ 120 प्रतिशत, IIF के इकॉनमिस्ट ने किया दावा
हाल में दुनिया के जो देश डिफॉल्ट करने पर मजबूर हुए, उनकी ऋण संबंधी परिस्थितियां अलग-अलग थीं। जिन पर कर्ज का बोझ श्रीलंका से ज्यादा है, लेकिन वे डिफॉल्टर होने से बचे हुए हैं। डिफॉल्टर हुए या डिफॉल्ट करने का खतरा झेल रहे देशों का अध्ययन करने वाले एक अमेरिकी विश्लेषक ने कही है।
वॉशिंगटन स्थित थिंक टैंक इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल फाइनेंस में डिप्टी चीफ इकॉनमिस्ट सर्गई लनाउ ने कोलंबो में एक सेमीनार में कहा कि श्रीलंका में जीडीपी की तुलना में कर्ज का बोझ 120 प्रतिशत हो गया। वह डिफॉल्टर होने से बच गया था।
श्रीलंका अब अपने कर्ज के बोझ को घटाने की कोशिश में जुटा हुआ है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने उसे कर्ज देने के बदले यह शर्त लगाई है कि साल 2032 तक वह जीडीपी की तुलना में अपने कर्ज का अनुपात घटा कर 95 प्रतिशत तक ले आए।
जीडीपी की तुलना में ऋण अनुपात 90 प्रतिशत ही था। अब उसे 2028 तक जीडीपी-ऋण अनुपात को घटा कर 60 प्रतिशत पर लाने की सलाह दी गई है। लनाउ ने इन उदाहरणों का जिक्र करते हुए कहा कि डिफॉल्ट करने की स्थितियों को लेकर कोई सामान्य नियम नहीं बताया जा सकता।