भैयादूज पर यमुनोत्री धाम में स्नान करने का है विशेष महत्व, जानिए आप भी…
भैयादूज के पावन पर्व पर यमुनोत्री धाम में स्नान एवं पूजा-अर्चना का अपना विशेष महत्व है। भैयादूज अर्थात यम द्वितीया के इस पर्व पर यमुना में स्नान व पूजा-अर्चना करने से यम यातना से मुक्ति मिलती है।
इस दिन देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यमुनोत्री धाम में पूजा-अर्चना तथा यमुना में स्नान करने पहुंचते हैं।भैयादूज का दिन भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक है। भाई-बहन यमुनोत्री धाम पहुंचकर अपने भाई एवं बहन अपने-अपने रिश्तों को जन्म-जन्मांतर तक बरकरार रखने की एवं उनके जीवन में खुशहाली की मां यमुना से कामना करते हैं।
भैयादूज के पावन पर्व पर यमुनोत्री धाम में यम यातना से मुक्ति के लिए श्रद्धालु यमुनोत्री धाम में पहुंचकर यमुना में स्नान कर विधिविधान से पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन एक दूसरे की मंगल कामनाओं के लिए श्रद्धालु मां यमुना से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। मान्यता है कि सूर्य ने तीनों लोकों के हित के लिए यमुनोत्री धाम में यमुना को पृथ्वी पर अवतरित कराया। यमुनोत्री धाम में उत्तर वाहिनी यमुना में स्नान करने का विशेष महत्व है। उत्तर वाहिनी मां यमुना समस्त पापों से विश्व को मुक्ति दिलाने वाली है।
मान्यता है कि यमराज ने अपनी बहन यमुना को वरदान दिया है कि सनातन जगत में भैया दूज अर्थात कार्तिक शुक्ल द्वितीय को यम अपने सभी कार्यों को छोड़कर अपनी बहन यमुना को मिलने यमुनोत्री धाम पहुंचते हैं। तब से जो भाई-बहन इस पर्व के अवसर पर यमुनोत्री धाम में पहुंचते हैं और यमुना में स्नान कर इस पर्व को मनाते हैं, उनके रिश्ते जन्म जन्मांतर के लिए भाई-बहन के प्रेम के बंधन में जाते हैं। यमुनोत्री तीर्थ पुरोहित सुरेश उनियाल, कृतेश्वर उनियाल, जगमोहन उनियाल, बागेश्वर उनियाल का कहना है कि यमुनोत्री धाम में यम द्वितीया के इस पर्व पर स्नान व पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। इस दिन यमुना में स्नान करने से यम यातना से मुक्ति मिलती है। उन्होंने इस पर्व पर अधिक से अधिक श्रद्धालुओं के यमुनोत्री धाम आने की भी अपील की।