अपनी नई पार्टी के साथ कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किया चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान , अब क्या करेगी कांग्रेस

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी नई पार्टी के साथ चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान कर चुके हैं। कैप्टन के निशाने पर सिर्फ कांग्रेस है और वह चुनाव में सियासी नुकसान पहुंचाकर पार्टी को अपनी गलती का अहसास करना चाहते हैं।

कांग्रेस भी उनके मंसूबे समझ रही है, इसलिए पार्टी ने अभी से चुनाव रणनीति का खाका बनाना शुरू कर दिया है। कैप्टन की नई पार्टी को लेकर कांग्रेस बहुत चिंतित नहीं है। विधानसभा चुनाव में चार-पांच माह का वक्त है, ऐसे में किसी भी नई पार्टी को कांग्रेस, अकाली, आप और भाजपा के विकल्प के तौर पर खड़ा करना आसान नहीं है।

पर कैप्टन भाजपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ते हैं, तो यह कांग्रेस की चिंता बढ़ा सकता है। क्योंकि, भाजपा का शहरी इलाकों में असर है। किसान आंदोलन, भाजपा-अकाली दल का गठबंधन टूटने और दलित मुख्यमंत्री के भरोसे कांग्रेस को पंजाब में सत्ता बरकरार रखने की उम्मीद है। पार्टी रणनीतिकार मानते हैं कि कैप्टन भले ही कोई सीट हासिल नहीं कर पाए, पर वह कांग्रेस के वोट में सेंध लगा सकते हैं। इसलिए पार्टी अभी से एहतियात बरत रही है। ताकि, चुनाव में बहुत ज्यादा नुकसान नहीं हो।

यही वजह है कि पंजाब के प्रभारी हरीश चौधरी ने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ रणनीति साझा करने की हिदायत दी है। प्रशांत पंजाब कांग्रेस के लिए फिर से चुनावी रणनीति बनाने के लिए तैयार होंते है, तो चुनाव रणनीतिकार के तौर पर उनकी वापसी होगी। क्योंकि, कुछ माह पहले उन्होंने यह काम करने से इनकार किया था।

कैप्टन इससे पहले भी कांग्रेस से अलग होकर अपनी पार्टी बना चुके हैं। ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाज कैप्टन कांग्रेस से इस्तीफा देकर अकाली दल में शामिल हो गए थे। पर जल्द ही अकाली दल से उनका मोह भंग हो गया और 1992 में उन्होंने शिरोमणि अकाली दल (पंथिक) पार्टी का गठन किया। बाद में 1998 में इस पार्टी को कांग्रेस में विलय कर दिया। क्योंकि, पंजाब की राजनीति में नई पार्टी बनाकर उसे स्थापित करना बहुत आसान नहीं रहा है।

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