45 साल से कम उम्र की महिलाओं में अधिक पाया जाता हैं ये रोग

अमेरिकन हार्ट असोसिएशन और अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियॉलजी की ओर से सूत्रबद्ध की गई गाइडलाइन्स के मुताबिक, 45 साल के कम उम्र के पुरुषों में हाई ब्लड प्रेशर रोग के लक्षण तीन गुना हो जाएंगे जबकि 45 साल से कम उम्र की महिलाओं में इस रोग का प्रसार दो गुना हो जाएगा। यूनिवर्सिटी ऑफ वर्जिनिया के डॉ रॉबर्ट एम कैरी कहते हैं, ‘ये आकंड़े डराने वाले हैं।’

 

इस स्टडी में बताया गया कि दुनियाभर की करीब 50 प्रतिशत महिलाओं में 60 की उम्र से पहले ही हाई ब्लड प्रेशर की समस्या विकसित हो जाती है लेकिन उसके जो लक्षण महिलाओं में नजर आते हैं जैसे- घबराहट, कंपकंपी या हॉट फ्लशेज उन्हें मेनोपॉज का संकेत मान लिया जाता है. यही कारण है कि पुरुषों में हाई बीपी को हाइपरटेंशन कहा जाता है लेकिन महिलाओं में इसे स्ट्रेस या मेनोपॉज के लक्षण के तौर पर देखा जाता है.

नीदरलैंड्स के रैडबोड यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर स्थित वीमेन्स कार्डिएक हेल्थ प्रोग्राम की डायरेक्टर प्रोफेसर ऐन्जेला मास कहती हैं, ‘पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ब्लड प्रेशर का इलाज कम ही हो पाता है जिसकी वजह से महिलाओं में हृदय संबंधित कई बीमारियों जैसे- ऐट्रिअल फाइब्रिलेशन, हार्ट फेलियर और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. ये ऐसी बीमारियां हैं जिन्हें होने से रोका जा सकता है.’

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