राजस्थान में भाजपा विधायक को थाने में किया जा रहा तलब, पुराने केस में नोटिस जारी
राजस्थान में राज्यसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं, राजनीतिक दांवपेंच तेज होते जा रहे हैं। इसी कड़ी में एक भाजपा विधायक को थाने में तलब किया जा रहा है। यह विधायक हैं कोटा केशवरायपाटन से चंद्रकांता मेघवाल। चंद्रकांता को 2017 के एक पुराने केस में नोटिस जारी की गई है। उनके घर पर चस्पा इस नोटिस में उन्हें मंगलवार को सुबह 11 बजे तक महावीर नगर थाने में उपस्थित होने के लिए कहा गया था। अनुमान लगाया जा रहा है कि राज्यसभा चुनावों की वोटिंग से पहले गहलोत सरकार द्वारा भाजपा विधायकों को दबाने के लिए यह पैंतरे इस्तेमाल किए जा रहे हैं। विधायक को धारा 41 ए के तहत नोटिस दिया गया है। वहीं विधायक चन्द्रकांता मेघवाल का कहना है कि वो अभी जयपुर बाड़ाबंदी में हैं, इसलिए थाने पर उपस्थित नहीं हो सकती हैं।
वहीं विधायक चंद्रकांता मेघवाल को जारी नोटिस पर अब सियासत तेज हो गई है। भाजपा नेताओं ने इस कार्यवाही को गलत बताया और कहा है कि कांग्रेस सरकार लगातार भाजपा के नेताओं और विधायकों को निशाना बना रही है। राज्यसभा चुनाव के पहले कांग्रेस सरकार इस तरह के हथकंडे अपना रही है। भाजपा विधायक के खिलाफ हो रही कार्रवाही को भाजपा नेताओं ने गलत बताते हुए अपना विरोध दर्ज करवाया है।
महावीर नगर थानाधिकारी पुष्पेन्द्र सिंह झांझरिया की ओर से जारी नोटिस में बताया गया है कि 2017 के एक प्रकरण की अनुसंधान पत्रावली कार्यालय पुलिस महानिदेशक सीआईडी, सीबी जयपुर के बाद अनुसंधान अग्रिम कार्यवाही के लिए थानाधिकारी महावीर नगर को प्राप्त हुई है। प्रकरण में बाद अनुसंधान के बाद आपके खिलाफ जुर्म प्रमाणित है। अतः 7 जून को सुबह 11 बजे अनुसंधान के लिए महावीर नगर थाने में उपस्थित हो। दरअसल, 20 फरवरी 2017 की शाम को महावीर नगर पुलिस ने चालान बनाने को लेकर एक व्यक्ति पर कार्रवाई की थी। उस समय विधायक चन्द्रकांता मेघवाल रामगंजमंडी से विधायक थीं। वह अपने पति नरेन्द्र मेघवाल और कार्यकर्ताओं के साथ महावीर थाने पहुंचकर पुलिस कार्रवाही का विरोध कर रही थीं। इसी दौरान विधायक पति ने तत्कालीन सीआई श्रीराम के गाल पर थप्पड़ मार दिया था। इसके बाद थाने में हंगामा हो गया और देखते ही देखते थाना अखाड़े का मैदान बन गया। इसके बाद पूरी रात भाजपा के नेता और हजारों की संख्या में कार्यकर्ता महावीर नगर थाने पर जुट गए थे। इस मामले में दोनों पक्षों की तरफ से रिपोर्ट दर्ज हुई थी। उस समय भाजपा की सरकार होने की वजह से पुलिस अधिकारियों पर गाज गिरी थी।