बांग्लादेश ने भारत को दिया ये ऑफर , जानकर चौका जाएगे आप
28 अप्रैल को भारत के विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर बांग्लादेश की राजधानी ढाका के दौरे पर थे। इस दौरे पर बांग्लादेश ने भारत को अपने पूर्वोत्तर के राज्यों से कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए चटगांव पोर्ट का इस्तेमाल करने का ऑफर दिया है। बता दें कि चटगांव पोर्ट बांग्लादेश का सबसे महत्वपूर्ण पोर्ट है।
इस पोर्ट के जरिए पूर्वोत्तर के राज्यों के साथ भारत की कनेक्टिविटी पहले से और बेहतर हो जाएगी साथ ही भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध मजबूत होंगे। लेकिन सवाल यह है कि बांग्लादेश ने भारत को चटगांव पोर्ट क्यों ऑफर किया, आइए समझने की कोशिश करते हैं।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि बांग्लादेश ने कहा है कि आप चटगांव पोर्ट का इस्तेमाल करके अपने पूर्वोत्तर के राज्यों से कनेक्टिविटी बढ़ाइए। लेकिन इससे बांग्लादेश को क्या फायदा होगा? बांग्लादेश कार्गो के जरिए पैसे कम सकता है और यही कारण है कि ढाका ने चटगांव पोर्ट पर दांव लगाया है। कुछ प्रमुख कारण समझिए जिसने बांग्लादेश को यह कदम उठाने पर मजबूर किया है।
बांग्लादेश और म्यांमार के बीच एक तरह से क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धा है। म्यांमार पर कई तरह के प्रतिबंध लगे हुए हैं लेकिन इसके बावजूद म्यांमार की इकॉनमी बढ़ रही है। ऐसे में बांग्लादेश को डर है कि भविष्य में कई सेक्टर में म्यांमार बांग्लादेश को टक्कर दे सकता है। बांग्लादेश को डर है कि फार्मास्युटिकल सेक्टर में म्यांमार बांग्लादेश को पीछे छोड़ सकता है।
बांग्लादेश को लगता है कि आने वाले वक्त में भारत अपने पूर्वोत्तर राज्यों से कनेक्टिविटी को लेकर म्यांमार पर अधिक निर्भर हो सकता है। भारत ने कालादान मल्टीमॉडल प्रोजेक्ट के तहत सिथवे पोर्ट को विकसित किया है और उसके जरिए पूर्वोतर के राज्यों तक माल आसानी से भेज सकता है। इससे भारत को तो फायदा होगा ही साथ ही म्यांमार की इकॉनमी को भी बूस्ट मिलेगा।
भारत दुनिया में मैन्युफैक्चरिंग हब बनता जा रहा है और बांग्लादेश को उम्मीद है कि भारतीय कंपमनियां बांग्लादेश में भी प्रोजेक्ट्स शुरू कर सकती हैं। ऐसे में बढ़िया कनेक्टिविटी की जरूरत है। वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट बताती है कि मौजूदा वक्त में एक ट्रक को भारत से बांग्लादेश भेजने में 138 घंटे लगते हैं और इसके लिए 55 साइन की जरूरत होती है। यही कारण है कि बांग्लादेश भारत को एक नया और आसान रास्ता दे रहा है।