राजस्थान में चुनावी बिगुल बजाने की तैयारी में आम आदमी पार्टी , आदिवासी वोटर्स पर फोकस
राजस्थान में तमाम राजनीतिक पार्टियां चुनावी मोड में दिखाई दे रही है। सभी दलों को इस वक्त आदिवासी वोटर्स ही सत्ता के केंद्र में दिखाई दे रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस के बाद अब आम आदमी पार्टी (आप) भी राजस्थान में इसी इलाके से चुनावी बिगुल बजाने की तैयारी में है।
दिल्ली विधायक एवं राजस्थान में आप के प्रभारी विनय मिश्रा 28 अप्रैल को उदयपुर आने वाले हैं। इस दौरान आदिवासी वोटर्स को साधने की कोशिशें भी पार्टी की ओर से तेज हो गई हैं।
आप की सियासत की आगे की कहानी यह है कि गुजरात में चुनावी रणनीति में जुटे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कई योजनाओं पर काम कर रहे हैं। खबर यह है कि वह गुजरात में छोटू वसावा की अगुवाई वाली भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) से गठबंधन पर विचार कर रही है। वसावा भी इस बात की पुष्टि कर चुके हैं कि उनकी पार्टी ने आप के साथ हाथ मिलाने का फैसला किया है।
बीटीपी के गुजरात और राजस्थान में दो-दो विधायक हैं। डूंगरपुर जिले में बीटीपी के पास सागवाड़ा व सीमलवाड़ा दो सीटें हैं। यहां से राजकुमार रोत व रामप्रसाद डिंडोर विधायक हैं। पिछले चुनावों में यहां चुनाव प्रभारी भी रमेश भाई वसावा थे। इसके बाद बीटीपी ने डूंगरपुर, बांसवाड़ा व प्रतापगढ़ में नगर पालिका व पंचायतों चुनावों में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है।
डूंगरपुर नगर परिषद चुनावों में सभापति के चयन को लेकर बीटीपी के खिलाफ भाजपा व कांग्रेस साथ दिखाई दिए थे। बहरहाल अगर आप राजस्थान में भी बीटीपी से गठबंधन करती है तो उसको फायदा मिलेगा। उदयपुर, बांसवाड़ा व डूंगरपुर में 15 सीटें जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं।
आदिवासी क्षेत्र में बीटीपी की मौजूदगी है, ऐसे में बीटीपी के साथ हाथ मिलाना आप के लिए फायदेमंद होगा। इससे पार्टी की पहुंच आदिवासियों तक होगी। जद(यू) के पूर्व नेता छोटू वसावा ने 2017 चुनाव के दौरान अपने बेटे महेश वसावा के साथ मिलकर बीटीपी का गठन किया था और पार्टी कांग्रेस के साथ गठबंधन में आ गई थी। उनकी पार्टी ने गुजरात के आदिवासी क्षेत्रों में दो सीटें अपने नाम की थी।