पांच साल से अंधेरे में डूबा यूपी का ये गांव, फिर भी ग्रामीणों को देना पड़ रहा बिल

सीतापुर जिला मुख्यालय से सटा अहमदनगर गांव पांच साल से अंधेरे में डूबा है। महज एक ट्रांसफारमर के लिए ग्रामीण दिन में घर छोड़कर बागों में चले जाते हैं। रात हाय-हाय करके कटती है।

महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों का बुरा है। बच्चों की पढ़ाई बंद है। यहां हालत है कि कुछ लोग ऐसे भी हैं जो दिन रात शर्ट नहीं पहन पा रहे। बाजार जाने के लिए कपड़े पहनते हैं। कई गांव छोड़कर किराए के मकान में शहर में रहने लगे। ग्राम प्रधान एक साल से अफसरों की चौखट पर चक्कर लगा रही हैं, मगर सुनवाई नहीं। वैसे ग्रामीण पांच वर्षों से ट्रांसफारमर के लिए जददोजेहद कर रहे है।

अढ़ावलपुर ग्राम सभा का यह मजरा है। इसके साथ भुलभुलिया भी मजरा है यहां लाइट आ रही है। हसनपुर बिजली उपकेन्द्र से यह गांव जुड़ा है। इतनी शिकायतों के बाद अधिशासी अधिकारी द्वितीय विद्युत यह भी पता नहीं कर पाए कि गांव किस बिजली केन्द्र से जुड़ा है। ग्रामीणों के घर बिजली के बिल लगातार आ रहे है।

60 फीसदी लोगों ने कनेक्शन कटवा लिए, कई बिल जमा नहीं कर पा रहे। 40 हजार तक बिल आ गया है। जमील का बिल 40 हजार आया है। शहाबुददीन का पांच हजार आया है। ग्राम प्रधान सन्नो का 15 हजार के आसपास। बशरुददीन का बिल चार हजार आया है। अमीन का तीन हजार रुपए बिल आया है। इसका ब्योरा ग्राम प्रधान सन्नो ने सम्पूर्ण समाधान दिवस पर डीएम को दिया है।

ग्रामीणों का कहना है कि ठंडे पानी के लिए तरह रहे हैं। मोबाइल चार्ज करने के लिए शहर जाना पड़ता है कई लोगों ने घर पर सोलर लगवा लिया जिससे कुछ काम हो जा रहा है। कई लोगों के यहां इलेक्ट्रिक उपकरण कबाड़ हो गए। फ्रिज और टीबी बंद बंद खराब हो गई है। प्रधानपति रईस का कहना है कि अगर कोई बीमार है तो उसकी जान सांसत में रहती है। घर में बिस्तर पर कैसे लेट सकता है।

गांव में पोल पर लाइट लगी है वह कब का खराब हो चुकी है यह पता नहीं है मगर ग्रामीण मोबाइल टार्च से एक दूसरे के घर जाते हैं। किसी हादसे में गांव के लोग बाइक स्टार्ट करके उससे रोशनी करके काम चलाते हैं।

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