रूस के खिलाफ युद्ध में उतरे भारतीय छात्रों के टीचर, जानिए हैरान कर देने वाली पूरी खबर

यूक्रेन में रूसी अटैक के बाद भारत ने ऑपरेशन गंगा के तहत अपने लगभग सभी नागरिकों को वहां से बाहर निकाल लिया है। इन नागरिकों में ज्यादातर छात्र थे जो यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई के वास्ते गए थे।

अब जब छात्र वहां से चले आए हैं तो ऐसे में उनके टीचर युद्ध में कूद पड़े हैं। लगभग दो हफ्ते पहले तक, नतालिया कल्यानियुक पश्चिमी यूक्रेन में टेरनोपिल मेडिकल नेशनल यूनिवर्सिटी में फोरेंसिक मेडिकल एंड मेडिसन लॉ पर क्लासेस लेती थीं। लेकिन अब, 37 वर्षीय एसोसिएट प्रोफेसर यूक्रेनी सेना के लिए कैमोफ्लॉग नेट बुनती हैं और युद्ध क्षेत्र में नागरिकों और सैनिकों के लिए चिकित्सा आपूर्ति और भोजन की व्यवस्था करने में मदद करती हैं। वह पूछती हैं, “हम अपने घर को तबाह होते हुए कैसे देख सकते हैं और कुछ करें भी न?”

रिपोर्ट के मुताबिक, रूसी आक्रमण के कारण हजारों भारतीय छात्रों की वतन वापसी हो चुकी है, ऐसे में यूक्रेन में उनके शिक्षक, युद्ध के प्रयास में डूब गए हैं। वे अपेक्षाकृत कम प्रभावित पश्चिमी शहरों जैसे टेरनोपिल और लवीव रहते हैं।

वे युद्ध क्षेत्रों में दवाओं की व्यवस्था और सप्लाई करते हैं, सैनिकों और नागरिकों के लिए खाना बनाते हैं, और नागरिकों के लिए मुफ्त ऑनलाइन और ऑफलाइन चिकित्सा सहायता कक्षाएं आयोजित करते हैं। कुछ ने तो सेना के लिए भी साइन कर लिया है।

कल्यानियुक आर्मी ज्वाइन करने वाले ग्रुप से हैं, जो अपने वकील पति बोडगन कल्यानियुक के साथ अपनी मिलिट्री यूनिट को हर दिन रिपोर्ट करते हैं। वे टैंक-रोधी मिसाइलों को फायर करना सीख रहे हैं।

वे कहती हैं, “मैंने अपनी मर्जी से ज्वाइन किया है। मैं अपने 10 और 5 साल के बच्चों को अपनी मां के साथ घर छोड़ देती हूं और अंदर जाती हूं।” वह कहती हैं कि – भारतीय छात्रों सहित कई लोग उनसे व्हाट्सऐप पर उनकी खैरियत के बारे में पूछते रहते हैं।

कल्यानियुक ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “मेरे काम में युद्ध क्षेत्रों में बंकरों में रहने वाले सैनिकों और नागरिकों की जरूरतों के अनुसार चिकित्सा आपूर्ति, भोजन, कैमोफ्लॉग नेट आदि जैसे मटेरियल की व्यवस्थित करना और उसे डिलीवर करना शामिल है। कई महिलाएं यूक्रेन छोड़कर पड़ोसी देशों में चली गईं। मैं अपने पति, या अपने दोस्तों और सहकर्मियों को नहीं छोड़ सकती जो हमारी जमीन की रक्षा करते हैं।”

यूक्रेन में मार्शल लॉ लागू होने के साथ, अधिकांश विश्वविद्यालयों ने छात्रों के लिए छुट्टियों की घोषणा कर दी है – कक्षाएं फिर से शुरू होने पर अनिश्चितता है। इस बीच उन्होंने खुद को सेना के सपोर्ट सेंटर में तब्दील कर लिया है। सैन्य सहायता प्रदान करने के अलावा, चिकित्सा संकाय घायल सैनिकों और नागरिकों के इलाज के लिए सैन्य अस्पतालों और शिविरों में भी काम करता है।

वह कहती हैं, “मेरे पूर्व इराकी छात्रों ने मुझसे संपर्क किया और कहा कि उन्होंने 11,000 डॉलर इकट्ठे किए हैं। मैंने उन्हें चिकित्सा आपूर्ति की एक सूची भेजी, और वे उन्हें तुर्की के रास्ते भेज देंगे। पोलैंड और भारत के हमारे छात्र भी हमारी बहुत मदद कर रहे हैं। हमारे एक भारतीय छात्र ने हारमोनियम पर यूक्रेन का गान बजाया और हमें एक वीडियो भेजा, जिसे हमने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किया। कुछ तो अपने देश नहीं लौटना चाहते थे, लेकिन चले गए क्योंकि उनके माता-पिता चिंतित थे।”

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