उत्तराखंड : दो दिनों से जारी बेमौसमी बारिश किसानों के लिए बनी मुसीबत, खराब हो रही धान की फसल

उत्तराखंड में पिछले दो दिनों से जारी बेमौसमी बारिश किसानों के लिए मुसीबत बन गई है। बेमौसमी मूसलाधार बारिश ने किसानों की मुसीबत बढ़ा दी है।

जहां किसानों का धान अब नमी अधिक होने से बिकना बंद हो गया है। वहीं कटी फसल को रखने के लिए जगह नहीं मिल रही है। किसानों जो रेट मिले उसी पर बेचने को विवश दिख रहा है। खेतों में धान की फसल तैयार है। रविवार शाम से हो रही बारिश से धान की फसल खराब हो रही है।

तैयार धान की पौंध खेतों में बिछ गये हैं। इससे किसानों को करीब 20 प्रतिशत का नुकसान हो गया है। इधर कई किसान धान कटाई कर मटर बुआई की तैयारी कर रहे थे। अब मटर बुआई का कार्य भी रुक गया है। मटर देर से बाजार में आयेगी। इससे आगामी दिनों में मटर महंगी होगी। उधर पर्वतीय क्षेत्रों में रविवार से हो रही बारिश से प्रशासनिक और सिंचाई विभाग के अफसर सतर्क हो गये हैं। कैलाश, बैगुल, कामन, सूखी, निहाई नदियों का जलस्तर फिलहाल सामान्य है।

सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता बीसी नैनवाल ने बताया कि विभाग सतर्क है। नदियों में पानी बढ़ रहा है। पर्वतीय क्षेत्रों में हो रही बारिश पर नजर रखी जा रही है। जलस्तर बढ़ने पर नदियों के आसपास रहने वाले लोगों को सतर्क किया जायेगा। उन्होंने बताया कि गत सायं से प्रात: आठ बजे तक 49 एमएम बारिश रिकार्ड की गयी है।

इधर कई ग्रामीण क्षेत्रों में गत सायं से विद्युत आपूर्ति बांधित है। नगर से सटे तुर्कातिसौर गांव में रविवार की सायं से बिजली आपूर्ति बांधित है। इधर मण्डी में किसानों के धान के ढेर लगे हैं। किसान यहां सरकारी कांटों में धान बेचने के लिए लाये हैं। धान की तौल नहीं हो पाने से इन किसानों का धान खराब हो रहा है।

पछुवादून, जौनसार बावर में रविवार सुबह से ही मौसम ने करवट बदल ली है। कुछ जगहों पर बारिश के साथ तेज हवाएं भी चल रही हैं, जिसको लेकर किसान चिंतित नजर आ रहे हैं। इन दिनों पछुवादून में धान की फसल पककर कटाई के लिए तैयार हो चुकी है। ऐसे में बेमौसम बारिश और तेज हवाओं से फसलों को नुकसान हो सकता है।

इसके साथ ही खेतों में जलभराव होने के कारण फसल में अंकुरण आने का खतरा भी बना हुआ है। किसानों का कहना है कि फसल में नमी आने पर उसके खराब होने और काले पड़ने का खतरा हो जाता है। खराब फसल को धान खरीद केंद्रों पर नहीं खरीदा जाता, जिससे उन्हें भारी नुकसान होगा। कुछ जगहों पर इन दिनों धान की कटाई शुरु हो चुकी है, जबकि कुछ क्षेत्रों में फसल अभी खेतों में ही खड़ी है।

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