चीन में अफगान राजदूत ने किया ऐसा, जानकर चौक उठे लोग
चीन में अफगानिस्तान के राजदूत ने पद छोड़ते हुए एक लंबा-चौड़ा संदेश छोड़ा है जिसमें उन्होंने बताया है कि तालीबान द्वारा काबुल पर कब्जा किए जाने के बाद महीनों तक कर्मचारियों को सैलरी भी नहीं मिली थी.
चीन में अफगानिस्तान के राजदूत रहे जाविद अहमद काएम ने सोमवार को बताया कि तालीबान के सत्ता में आने के बाद हालात कितने जटिल हो गए थे.
ट्विटर पर काएम ने लिखा कि तब हालत ऐसी थी कि फोन का जवाब देने के लिए भी कोई नहीं था और रिसेपशनिस्ट को ही सारा काम करना पड़ रहा था. काएम ने बताया कि अपने कर्मचारियों को तन्ख्वाह देने के लिए उन्हें दूतावास के बैंक खाते को खाली करना पड़ा था.
1 जनवरी को विदेश मंत्रालय को भेजे एक पत्र में उन्होंने लिखा, “पिछले छह महीने से काबुल से तो हमें कोई तन्ख्वाह मिली नहीं, तो हमने वित्तीय संकट को हल करने के लिए अपने राजनयिकों की कमेटी बनाई.” उन्होंने कहा कि फिर भी वह अपने उत्तराधिकारी के लिए कुछ धन छोड़कर आए थे. उन्होंने लिखा, “1 जनवरी 2022 तक खाते में करीब एक लाख डॉलर है.”
काएम ने यह नहीं बताया कि अब वह क्या करेंगे. चीन में दूतावास की खस्ता हालत को बयान करते हुए काएम ने जो लिखा है उसमें ऐसा भी है कि दूतावास की पांच कारों की चाभियां वह अपने दफ्तर में छोड़कर आए हैं और चूंकि सारे राजनयिक जा चुके हैं, इसलिए फोन का जवाब देने के लिए एक स्थानीय व्यक्ति को काम पर रखा गया.
पुराने और नए का संघर्ष जारी है अफगानिस्तान के बहुत सारे दूतावासों की यही स्थिति है. ये दूतावास आमतौर पर पिछली सरकार के प्रति निष्ठावान रहे अधिकारी ही चला रहे हैं. हालांकि बहुत से राजनयिकों ने दूतावास छोड़ भी दिए हैं. काएम ने लिखा कि उनका इस्तीफा “सम्मानजनक तरीके से अपनी जिम्मेदारी का पटाक्षेप” है.
एक ट्वीट ने उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि जब नए नियुक्त जनाब सदात बीजिंग पहुंचेगे तो कोई अन्य राजनयिक वहां नहीं बचेगा.” उन्होंने कहा कि चीन को भी इस बात का अच्छी तरह पता है.
हालांकि फिलहाल यह नहीं पता है कि काएम के उत्तराधिकारी सदात हैं कहां. इस बारे में तालीबान सरकार ने भी कोई टिप्पणी नहीं की है. सोमवार को बीजिंग में अफगानिस्तान का दूतावास रोज की तरह ही खुला.