कोरोना के चलते उत्तराखंड रोडवेज बसों को दिल्ली बॉर्डर पर रोका, यात्रियों की बढ़ी मुश्किलें
देश में कोरोना के नए वेरिएंट ‘ओमिक्रॉन’ के बढ़ते केसों क बीच सख्ती भी शुरू हो गई है। ऐसे में बस यात्रियों की भी मुश्किलें बढ़ गईं हैं। उत्तराखंड रोडवेज के लिए दिल्ली की बसें फुल सवारी क्षमता पर भेजना मुश्किल हो गया है।
दिल्ली में ओमिक्रोन के मामले बढ़ने पर यात्री वाहन 50 फीसदी क्षमता पर चल रहे हैं। ऐसे में दिल्ली पुलिस दूसरे राज्यों से आने वाली बसों को भी सीमा पर रोकने लगी है। इससे यात्रियों को भी परेशानी हो रही है। दिल्ली पुलिस ने मोहननगर के पास दिल्ली सीमा पर उत्तराखंड रोडवेज की कुछ बसों को रोका।
ड्राइवर-कंडक्टरों को सवारी फुल क्षमता पर नहीं बैठाने को कहा। किसी तरह बसें दिल्ली तक पहुंचीं। उत्तराखंड रोडवेज के पास 1300 बसों का बेड़ा है। इसमें 60 फीसदी बसों का संचालन दिल्ली के लिए होता है। ओमिक्रोन के बढ़ते मामलों को देखते हुए दिल्ली में येलो अलर्ट है। यात्री वाहन 50 फीसदी सवारी क्षमता पर चल रहे हैं। दिल्ली में 50 फीसदी सवारी क्षमता का नियम लागू होने के बाद उत्तराखंड रोडवेज प्रबंधन की चिंता बढ़ गई है।
यदि रोडवेज दिल्ली सरकार की एसओपी का पालन करता है तो रोडवेज की रोजाना आय पर बड़ा असर पड़ सकता है। रोडवेज के लिए डीजल का खर्चा उठाना भी मुश्किल हो सकता है।
रोडवेज के महाप्रबंधक संचालन दीपक जैन का कहना है कि मुझे आरएम के माध्यम से सूचना मिली है कि दिल्ली में बसों को रोका जा रहा है। दिल्ली में 50 फीसदी क्षमता पर बसें चल रही हैं। अभी हमारे पास उनकी एसओपी आई नहीं है।
रोडवेज प्रबंधन पहाड़ी रूट की बसों को मैदानी रूटों पर दौड़ा रहा है। इससे पहाड़ी रूटों पर बसों की कमी हो रही है। टिहरी, पौड़ी और उत्तरकाशी की कुछ बस सेवाएं कई दिनों से ठप हैं। जिससे यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ रही है।
पर्वतीय रूटों की बसों का संचालन रेलवे स्टेशन स्थित मसूरी बस अड्डे से होता है। पहाड़ी रूटों के लिए छोटी बसें हैं, जिन्हें पहाड़ के रूटों पर ही चलाया जाना था, लेकिन रोडवेड प्रबंधन पर्वतीय डिपो की कुछ बसों को सहारनपुर रूट पर चला रहा है। इससे पर्वतीय रूटों के लिए बसों की कमी पड़ रही है।