अमित शाह ने बढ़ाई BSF की ताक़त , पंजाब के मुख्यमंत्री ने किया विरोध

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ़ की ताक़त और दायरे को और विस्तार देने का फ़ैसला किया है. अब बीएसएफ़ असम, पश्चिम बंगाल और पंजाब में अंतरराष्ट्रीय सीमा से 50 किलोमीटर के भीतर गिरफ़्तारी, खोजी अभियान और ज़ब्ती कर सकता है.

बीएसएफ़ केंद्रीय अर्धसैनिक बल है. बीएसएफ़ को यह शक्ति नए केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भी मिलेगी. 11 अक्टूबर को प्रकाशित गज़ट में इसकी जानकारी दी गई है. अंग्रेज़ी अख़बार द हिन्दू ने इसे पहले पन्ने की लीड ख़बर बनाई है.

इससे पहले बीएसएफ़ को गुजरात में अंतरराष्ट्रीय सीमा से 80 किलोमीटर के भीतर के अलावा राजस्थान, पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में 15 किलोमीटर के दायरे में यह अधिकार हासिल था.

केंद्र सरकार के इस फ़ैसले का पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने विरोध किया है और कहा है कि यह भारत के संघीय ढाँचे पर हमला है. चन्नी ने इस फ़ैसले को वापस लेने की मांग की है.

11 अक्टूबर की अधिसूचना ने बीएसएफ़ एक्ट, 1968 के तहत 2014 में लिए गए फ़ैसले की जगह ले ली है. इस अधिसूचना के तहत बीएसएफ़ को जो विस्तार मिला है, उसमें मणिपुर, मिज़ोरम, त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय भी शामिल हैं.

अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर राज्य का दो हिस्सों में केंद्रशासित प्रदेश के रूप में विभाजन हुआ था. लेकिन बीएसएफ़ एक्ट, 1968 के तहत 2014 में जो फ़ैसला लिया गया था, उसमें जम्मू-कश्मीर का नाम नहीं था. हालाँकि 1973 में इसी तरह के संशोधन में जम्मू-कश्मीर का संदर्भ था.

बीएसएफ़ अब नशीली दवाओं की तस्करी, अन्य प्रतिबंधित चीज़ें, विदेशियों के अवैध प्रवेश के साथ केंद्र सरकार के नियमों के तहत अन्य अवैध गतिविधियों में गिरफ़्तारी, खोजी अभियान और ज़ब्ती कर सकता है.

‘द हिन्दू’ से बीएसएफ़ के एक अधिकारी ने कहा है कि ‘इस संशोधन से बीएसएफ़ के लिए एक निश्चित इलाक़ा तय किया गया है, जहाँ हम कार्रवाई कर सकते हैं. इससे सीमा पार से अंजाम दिए जाने वाले अपराध पर काबू पाने में मदद मिलेगी.’

अगर इस चिह्नित इलाक़े में कोई संदिग्ध पकड़ा जाता है या कोई अवैध चीज़ बरामद होती है तो प्राथमिक पूछताछ का अधिकार केवल बीएसएफ़ को होगा और 24 घंटे के भीतर स्थानीय पुलिस के हवाले संदिग्ध को करना होगा. बीएसएफ़ के पास संदिग्ध के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाने का अधिकार नहीं होगा.

पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने इस फ़ैसले की आलोचना करते हुए ट्वीट किया है, ”मैं भारत सरकार के इस एकतरफ़ा फ़ैसले की कड़ी निंदा करता हूँ. यह भारत के संघीय ढाँचे पर सीधा हमला है. मैं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से अनुरोध करता हूँ कि वे इस अविवेकपूर्ण फ़ैसले को वापस लें.”

2012 में नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने बीएसएफ़ एक्ट, 1968 में प्रस्तावित संसोधन का विरोध करते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखा था. पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने भी केंद्र सरकार के इस फ़ैसले को अतार्किक बताया है.

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