उत्तराखंड में पवित्र स्थलों में स्थित सैकड़ों पेड़ों को किया जाएगा ये, जानकर लोग हुए हैरान
उत्तराखंड में पवित्र स्थलों में स्थित सैकड़ों पेड़ों को जियो टैग किया जाएगा। जिसके बाद किसी भी समय इन पेड़ों की स्थिति को जाना समझा जा सकेगा।उत्तराखंड जैव विविधता के लिए देश दुनिया में प्रसिद्ध है।
1927 में अंग्रेजों द्वारा भारतीय वन अधिनियम लाने से बहुत पहले से ही हमारे बुजुर्ग जैव विविधता को बनाने व बचाने के लिए काम करते आ रहे हैं।
इस संबंध में विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य में ऐसी कई जगह हैं जहां के क्लाइमेट की विपरित प्रजाति के पेड़ भी वहां पाए जाते हैं। ये गोलाई में 300 सेमी से बड़े व 1200 साल से अधिक पुराने हैं।
एक अनुमान के मुताबिक राज्य में करीब 250 देव वन हैं इनमें कई विशेष तरह के पेड़ हैं। इन पेड़ों को उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) टैग करने की तैयारी में हैं। टैग करने के बाद इन पेड़ों की स्थिति व इनके आसपास की स्थिति का सटीक जानकारी मिलेगी।
पिथौरागढ़ में थल केदार, पातल भुवनेश्वर, जयंतिमाता मंदिर, हाट कालिका गंगोलीहाट, अल्मोड़ा में जागेश्वर और चितई, पौड़ी में दिवा डांडा, दोगड के पास बंजा देवी, चमोली में लाटू देवता, जोशीमठ में ज्योतिर्मठ, लैंसडाउन के पास तारकेश्वर धाम समेत कई जगह हैं। जहां पर चीड़, देवदार समेत विभिन्न प्रकार के पेड़ हैं।
जिन स्थानों को जियो टैग किया जाएगा वह स्थानीय स्तर पर तो प्रसिद्ध हैं लेकिन उस क्षेत्र से बाहर लोगों को इनकी जानकारी नहीं है। इन जगहों को जियो टैग करने के बाद इन स्थानों का प्रचार प्रसार कर टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में भी डेवलप करने की योजना है।
यूसैक के वैज्ञानिकों के अनुसार राज्य में पिथौरागढ़ जिले में 150 से ज्यादा देव वन हैं। इन वनों को देवताओं से जोड़ा गया है ताकि इनके फलने-फूलने में कोई दिक्कत पैदा ना करे।