गाय को राष्ट्र माता और संस्कृत को हिंदुओं की भाषा घोषित करने के लिए भरी हुंकार
प्रयागराज: महाकुंभ में आयोजित परम धर्म संसद में गाय को राष्ट्र माता और संस्कृत को हिंदुओं की भाषा घोषित करने के लिए हुंकार भरी गई। सेक्टर 12 में ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के शिविर में आयोजित परम धर्म संसद में पहली बार तीन पीठों के शंकराचार्य एक मंच पर दिखे।
परम धर्म संसद में तीन पीठ के शंकराचार्य पहली बार एक साथ एक मंच पर दिखे। द्वारकापीठ, ज्योतिर्मठ और श्रृंगेरीपीठ के शङ्कराचार्य की मौजूदगी में आयोजित परम धर्म संसद 1008 में गौ हत्या की निंदा कर गाय को राष्ट्रमाता और संस्कृत को हिंदुओं की भाषा घोषित करने के लिए हुंकार भरी गई। द्वारकापीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने कहा कि हिंदी बोलचाल की भाषा है लेकिन, संस्कृत सनातनी भाषा है। हिंदू वही जो गाय की भक्ति और गाय की सेवा करे। हिंदू हो तो दिल में हिंदुत्व दलगत राजनीति से उठ कर गाय और संस्कृत की सेवा करनी चाहिए।
संस्कृत, संस्कृति और संस्कार समय की मांग है। नई पीढ़ी की शिक्षा नीति, राजनीति धर्म के अनुसार होनी चाहिए। धर्म का पालन करने से से धर्म की रक्षा हो जाएगी। देश की रक्षा सेना कर रही है। हमें धर्म की रक्षा करनी है। इसके लिए धर्म का पालन करना जरूरी है। शंकराचार्य विद्युशेखर भारती, श्रृंगवेरी पीठ ने कहा जब तक गो माता की हत्या होती रहेगी, तब तक सुख शांति और समृद्धि नहीं आ सकती। गौहत्या रुकने तक थकना नहीं है। सभी भाषाओं की माता संस्कृत है।