तालिबान से दोस्ती करना पाकिस्तान को पड़ा भारी , जानिए हैरान कर देने वाली पूरी खबर

तालिबान की तरफदारी, वॉर गेम, टेरर गेम सत्ता हथियाने के खेल में पाकिस्तान बुरी तरह फंस चुका है. सत्ता में काबिज़ होने के महीनों बाद तालिबान को मान्यता मिलती नही दिख रही. अमेरिका तालिबान के रवैये से नाखुश है तो वही तालिबान की पैरोकारी करने वाले देश चीन रूस ने भी उसे मान्यता नही दी है.

सबसे दिलचस्प ये है कि पाकिस्तान चाहकर भी अफगानिस्तान को खुद मान्यता नहीं दे पा रहा है जबकि होम ग्राउंड पे इमरान खान भारी दबाव में है. वही सऊदी से लेकर ईरान तक तालिबान पाकिस्तान गठजोड़ को घास डालने के लिये भी तैयार नही है.

अगर उसने अकेले तालिबान को मान्यता दी तो तालिबानी आतंक का सारा ठीकरा उसके सर फूटेगा वह FATF की ग्रे लिस्ट से ब्लैक लिस्ट में चला जायेगा.

यूएस मान्यता में देरी कर रहा है जिससे तालिबान सरकार को वर्ल्ड बैंक या फिर IMF से कर्ज नही मिल पायेगा ऐसे में भुखमरी के शिकार हो रहे अफगानी/तालिबानी भारी संख्या में पाकिस्तान में घुस आयेंगे.

लाखों की संख्या में शरणार्थी अंदर आ गये तो इस संकट को पाकिस्तान खुद झेल नही पायेगा. अगर तालिबान को मान्यता नहीं मिली तो चीन के नजरिये में पाकिस्तान की अहमियत कम हो जायेगी क्योंकि चीन अफगानिस्तान की जमीन पर पाकिस्तान के सहारे मौका तलाश रहा है.

अगर तालिबान को मान्यता दिलाने के लिए गिड़गिड़ा रहे इमरान को यूएस अन्य देशों ने नजरअंदाज किया जो की साफ होता दिखाई दे रहा है तो तालिबान के नजरो में इमरान सरकार की हैसियत भी गिर जायेगी जिससे पाकिस्तान की तालिबानी खुशी फ़ुर्र हो जायेगी.

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