देश में टीबी के मामलों को लेकर सामने आई बड़ी जानकारी, अभी कितनी दूर है रोग के खात्मे का लक्ष्य?
ट्यूबरकुलोसिस या क्षय रोग (टीबी) एक गंभीर समस्या है जो किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित करने वाली हो सकती है। भारत सरकार साल 2025 तक टीबी रोग के उन्मूलन के लक्ष्य पर काम कर रही है, हालांकि जिस तरह से हाल के वर्षों में टीबी के रोगियों के मामले बढ़े हैं उससे ये लक्ष्य काफी कठिन सा नजर आता है। हालांकि देश में टीबी रोग को लेकर सामने आ रहे हालिया आंकड़े थोड़ी राहत देने वाले हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने शुक्रवार को लोकसभा को बताया कि भारत में टीबी के मामलों की दर कम हुई है। साल 2015 में प्रति एक लाख की जनसंख्या पर 237 लोगों को ये बीमारी थी जो 2023 में 17.7 प्रतिशत घटकर प्रति एक लाख की जनसंख्या पर 195 हो गई है। हालांकि ये आंकड़े अब भी देश से टीबी के उन्मूलन के लक्ष्य से काफी दूर हैं।
संसद में एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि टीबी से होने वाली मौतों में भी 21.4 प्रतिशत की कमी आई है, जो 2015 में प्रति लाख जनसंख्या पर 28 से घटकर 2023 में प्रति लाख जनसंख्या पर 22 हो गई है। देश में इस रोग का रोकथाम के लिए किए गए प्रयास के अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं।
ड्रग रिजेस्टेंस टीबी के इलाज में मिली सफलता
भारत सरकार लगातार देश से टीबी को खत्म करने की दिशा में काम कर रही है। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया, देश में ड्रग रिजेस्टेंस टीबी का खतरा तेजी से बढ़ता देखा गया था, इसको लेकर साल 2021 में मौखिक दवा की शुरुआत की गई थी। इस पहल की मदद से ड्रग रिजेस्टेंस टीबी के उपचार की दिशा में बड़ी सफलता मिली है। ड्रग रेजिस्टेंस टीबी के उपचार की सफलता दर जो साल 2020 में 68 प्रतिशत थी वह इस दवा के बाद बढ़कर 2022 में 75 प्रतिशत हो गई है।
भारत सरकार ने 2025 तक टीबी को खत्म करने के उद्देश्य से एक राष्ट्रीय रणनीतिक योजना (2017-2025) लागू की है। मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तत्वावधान में नेशनल ट्यूबरकुलोसिस एलिमिनेशन प्रोग्राम (एनटीईपी) लागू किया है।